जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान पांच वर्षों के लिए बढ़ाने की मांग
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्तमंत्रियों की बजट पूर्व बैठक
रायपुर/नई दिल्ली : नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेन्टर में बुधवार को विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों की बजट पूर्व बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में छत्तीसगढ़ से मंत्री टीएस सिंहदेव शामिल हुये। इस दौरान सिंहदेव ने केंद्रीय बजट के लिए कुछ सुझाव और राज्य की समस्याएं रखीं। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि, खरीफ सीजन 2019 के लिए राज्य से भारतीय खाद्य निगम द्वारा केंद्रीय कोटे के अंतर्गत चावल लिए जाने की सहमति अभी तक प्राप्त नहीं हुई है, जिसे शीघ्र प्रदान किया जाये। राज्य में उत्पादित चावल की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत वितरण हेतु आवश्यक खपत के उपरांत शेष चावल को केंद्रीय कोटे के अंतर्गत भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से क्रय किया जाए। उन्होंने खाद्य सब्सिडी की सम्पूर्ण राशि का नियमित रूप से भुगतान करने का अनुरोध भी किया।
सिंहदेव ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में वनाधिकार पट्टेदार कृषकों को भी इस योजना के दायरे में लाये जाने की मांग की है। इसके अलावा बैठक में जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान को 2022 के पश्चात भी आगामी 5 वर्षों के लिए बढ़ाने एवं इसे राज्यों को प्रतिमाह केंद्रीय करों में राज्य के हिस्से की राशि के साथ ही दिये जाने की व्यवस्था की मांग की। वहीं कहा कि राज्य सरकार द्वारा महत्वाकांक्षी योजना नरवा गरवा, घुरवा, बाड़ी को केन्द्रीय योजनाओं जैसे मनरेगा, राष्ट्रीय पशुधन विकास कार्यक्रम, स्वच्छ भारत एवं राष्ट्रीय बागवानी मिशन के कन्वर्जेस के साथ किये जाने की सहमति केन्द्र सरकार द्वारा दी जाए।
नक्सल समस्या के उन्मूलन हेतु राज्य में केन्द्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती पर होने वाले व्यय को राज्य से न लेकर केन्द्र सरकार द्वारा ही वहन किया जाए। वर्ष 2020 – 21 के बजट में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्गों के कल्याण के लिए वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस स्थायी व्यवस्था बनायी जाये। उन्होंने केंद्रीय वित्तमंत्री से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में आवंटन से संधारण व्यय करने की अनुमति का प्रावधान भी आगामी बजट में करने का अनुरोध किया। इस दौरान उन्होंने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के वित्तीय प्रबंधन की दृष्टि से नाबार्ड अथवा अन्य वित्तीय संस्थाओं से लंबी अवधि एवं कम ब्याज दर के ऋण के माध्यम से राज्यांश की व्यवस्था करने की अनुमति राज्यों को दी जाये तथा इसे एफआरबीएम एक्ट की परिधि से बाहर रखा जाये।