बोले योगी, महिला उत्पीड़न की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन इस पर सियासत करना ठीक नहीं
लखनऊ : विधानसभा में बुधवार को विपक्ष द्वारा प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर लगाए गए आरोपो-प्रत्योरोपों का सिलेसिले वार जवाब देते हुए सीएम योगी ने महिला उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर लगाए जा रहे आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने महिला उत्पीड़न के अलावा बिजनौर के सीजेएम कोर्ट में हुई हत्या का उल्लेख करते हुए कहा कि जो जैसा करता है उसको वैसा ही मिलता है। बिजनौर की घटना में ऐसा ही हुआ। सरकार न्यायपालिका की सुरक्षा को लेकर खासी गंभीर है। इस दिशा में न्यायपालिका की सुरक्षा की व्यवस्था का प्रस्ताव न्यायपालिका को भेजा है और जैसे ही न्यायपालिका इस प्रस्ताव को मंजूर करती है तो वैसे ही प्रदेश सरकार इसे लागू कर देगी। उन्होंने कहा कि महिला उत्पीड़न की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण है, इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। भाजपा और उसकी सरकारों ने ही महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के अलावा महिलाओं के लिए ही उज्जवला योजना, उनके लिए शौचालय जैसी विभिन्न योजनाओं को संचालित किया है। बेटियों की ही सुरक्षा के लिए ही सरकार ने जब एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन किया तो सबसे पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि यदि महिला सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर न होती तो सिदृार्थ नगर में दुष्कर्म के एक मामले में पांच दिन में, औरेया में 27 दिन में दोषियों को सजा दिलाई गई। उन्नाव में पांचों आरोपियों को जेल भेजा गया। मैनपुरी की घटना में डीएम के खिलाफ कार्रवाई की गई। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी अपराध के दोषी को बक्शा नहीं जाएगा।
उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था के बद से बदतर होने के आरोप निराधार हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुंभ के आयोजन, धारा 370 हटने और राम जन्म भूमि पर फैसला आने के बाद प्रदेश में कही कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। प्रदेश की कानून-व्यवस्था सर्वोत्तम है। नागरिकता संशोधन कानून पर विपक्ष द्वारा विधान सभा में किए गए हंगामें को सदन की अवमानना बताते हुए कहा कि सदन के अंदर काली पटटी बांधकर आना सदन की अवमानना है। उन्होंने कहा कि जामिया मिलिया विवि में हुए हंगामें में एक पार्टी और उसके बड़े नेता का नाम आ रहा है। कानून-व्यवस्था के मुददे पर विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों से असंतुष्ट विपक्ष के सदस्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए। इसी बीच शोर-शरााबे और हंगामें के बीच विधान सभा अध्यक्ष से विधायी कार्य निपटाते हुए सदन की कार्यवाही को गुरूवार 11 बजे तक के लिए स्थागित कर दिया।
इससे पूर्व कानून-व्यवस्था के मुददे पर नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने कहा कि सूबे में कानून-व्यवस्था नाम की चीज नहीं रह गई है। मानवाधिकार आयोग ने भी महिला उत्पीड़न की घटनाओं में यूपी को नंबर वन बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी तरह की टिप्पणी की है। महिला उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर उन्होंने उन्नाव, मैनपुरी, फतेहपुर की घटनाओं का उल्लेख किया। ऐसी घटनाओं पर सरकार को शर्म आन चाहिए और विधान सभा भंग कर जनता के बीच जाना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य अजय कुमार लल्लू ने कहा कि यूपी में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हैं और अधिकारी मस्त हैं। बसपा के लालजी वर्मा ने भी प्रदेश की कानून-व्यवस्था को बद से बदृतर बताया। इससे पूर्व भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर ने प्रदेश में नौकरशाही की कार्यशैली और उनके रवैये को लेकर सदन में मामला उठाया और कहा कि विधायकों की नहीं बल्कि अधिकारियों की संपत्ति की जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायक निधि में 18 से 20 प्रतिशत कमीशनखोरी हो रही है। मुख्यमंत्री की जीरो टालरेंस नीति के बाद अधिकारियों के मनमाने रवैये के चलते ही कमीशन खोरी में कमी नहीं हो पा रही है। विधान सभा में बिजनौर और प्रदेश में बढ़ती बलात्कार की घटनाओं का मामला सपा ने उठाते हुए सरकार को घेरने का प्रयास किया। सपा ने कहा कि प्रदेश जल रहा है और नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। सपा ने इस मुददे पर सदन से वाकआउट किया।
कांग्रेस ने कहा कि सदन में सत्तारूढ़ दल के विधायक की बात नहीं सुनी जा रही है और जब सत्ता पक्ष के विधायक का यह हाल है तो विपक्ष और जनता का क्या हाल होगा। कांग्रेस ने भी सदन से वाकआउट किया। शून्य काल के दौरान भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर ने कहा कि अधिकारी नेताओं को बेइमान समझते हैं जबकि वह खुद रिश्वतखोरी कर रहे हैं। यहां तक कि विधायक निधि में भी कमीशन लिया जा रहा है। गुर्जर ने कहा कि नेताओं की सम्पत्ति की जांच तो कराई जाती है पर इन अधिकारियों की भी सम्पत्ति की जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि साजिश के तहत शासन को एक रिपोर्ट भेजी है जिसमें उन पर कई आपराधिक मुकदमें दिखाई गए है जबकि मेरे ऊपर कुल तीन मुकदमें हैं जो जनान्दोलन के हैं। गुर्जर ने कहा कि जो मुकदमें मेरे ऊपर लगाए गए हैं वह सब झूठे मुकदमें हैं जिनकी जांच करानी चाहिए। गुर्जर ने कहा कि मुख्यमंत्री की ईमानदारी के बावजूद पूरे प्रदेश में अधिकारियों की कमीशनखोरी चल रही है। ये बात अलग है कि पिछली सपा बसपा सरकारों से योगी सरकार में कमीशनाजी का प्रतिशत थोड़ा कम जरूर हुआ है। इसी बात का विरोध करने पर मेरे खिलाफ अधिकारी लामबंद हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में जितना उत्पीड़न नहीं हुआ उतना उत्पीड़न मेरा अपनी ही सरकार में किया जा रहा है।
विधानसभा सदस्य नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि विधायक निधि में 18 से 22 प्रतिशत कमीशन लिया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि मेरा विधानसभा क्षेत्र अपराधियों से भरा पड़ा है और पूर्व विधायक के इशारे पर अधिकारियों द्वारा मेरा उत्पीड़न किया जा रहा है। विधानसभा सदस्य की इस बात पर विपक्ष ने सरकार से जवाब मांगा तो सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा इस पर पीठ अपना निर्णय देगी। लेकिन विपक्ष की मांग थी कि इसका जवाब सरकार को देना चाहिए लेकिन जब सरकार के तरफ से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो कांग्रेस ने सदन का वाकआउट किया। इसके पूर्व विधानसभा में सदन के पूर्व सदस्यों के अलावा पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली, और सुषमा स्वराज को श्रद्वांजलि दी गयी।