दुनिया में जितने भी देश हैं उनका विकास और वहां पर हुआ मानव विकास उस देश की आर्थिक स्थिति को दर्शाता है। जहां तक मानव ‘विकास सूचकांक (HDI) की बात है तो आपको बता दें कि इस सूचकांक का उपयोग देशों को मानव विकास के आधार पर आंकने के लिए किया जाता है। इस सूचकांक से इस बात का पता चलता है कि कोई देश विकसित, विकासशील या गरीब है। मानव विकास सूचकांक जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और वहां की प्रति व्यक्ति आय संकेतकों का एक समग्र आंकड़ा है।
जिस देश की जीडीपी प्रति व्यक्ति, जीवन प्रत्याशा और शिक्षा का स्तर अधिक होता है तो उसको इस सूचकांक की उच्च श्रेणी में रखा जाता है। प्राप्त होती हैं। मानव विकास सूचकांक का विकास पाकिस्तान के अर्थशास्त्री महबूब उल हक द्वारा 1990 में किया गया था। इसके पीछे उन के दो उद्देश्य थे।
इसमें इकॉनोमिक्स का सेंटर प्वाइंट, राष्ट्रीय आय लेखा से मानव-केन्द्रित नीतियों पर उन्हें ट्रांसफर करना था।इसके लिए उन्होंने जिन लोगों की टीम तैयार की थी उसमें गुस्ताव रानीस, कीथ ग्रिफिन, पॉल स्ट्रीटन, फ्रैन्सस स्टीवर्ट, सुधीर आनंद और मेघनाद देसाई जैसे बड़े अर्थशास्त्री शामिल थे।