वर्ष 2012 में निर्भया कांड के बाद से ही देश बुरी तरह हिल गया था. सड़क से लेकर संसद तक ये मामला गूंजा था और इस जघन्य अपराध के सभी आरोपियों को पकड़ लिया गया था. इस केस के दोषियों को कभी भी फांसी दी जा सकती है. दोषियों की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है. उस पर फैसला होते ही चारों दोषियों को फांसी हो सकती है. इसके लिए फांसी की स्पेशल रस्सी भी बनवाई जा रही है और जल्लाद की भी खोज शुरू हो गई है.
रियल लाइफ से अलग अगर रील लाइफ की बात करे तो एक लड़की के साथ गैंगरेप की घटना को लेकर मनोज वाजपेई, संजय कपूर और रवीना टंडन ने फिल्म जागो में काम किया था. ये फिल्म इसी मायने में प्रासंगिक है कि गैंगरेप का शिकार हुई एक लड़की के माता-पिता उसके रेपिस्ट को खुद ही फांसी दे देते हैं. इस फिल्म में संजय और रवीना कपल बने हैं जिनकी बेटी के साथ गैंगरेप की घटना हो जाती है. अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने की कोशिशों में वे इंस्पेक्टर की मदद लेते हैं और काफी प्रयासों के बाद एक बहुत नाटकीय अंदाज में ये रवीना और संजय ही रेपिस्ट के लिए जल्लाद का काम करते हैं और उसे फांसी देते हैं. इससे पहले रवीना अपनी बेटी के एक रेपिस्ट का कत्ल भी कर देती हैं. फिलहाल इस कृत्य के सहारे डायरेक्टर सिनेमैटिक लिबर्टी लेते हैं और पति-पत्नी द्वारा उठाया गया ये कदम रियल लाइफ में गैर कानूनी साबित होगा.
गंभीर मुद्दे के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर खास सफल नहीं हुई थी फिल्म
इस फिल्म में रवीना की बेटी का किरदार हंसिका मोटवानी ने निभाया है. ये फिल्म एक असल घटना से प्रेरित थी. इस फिल्म की मीडिया के एक धड़े में आलोचना भी हुई थी और फिल्म की आलोचना में कहा गया था कि रेप जैसे जघन्य अपराध पर बनी इस फिल्म में अतिरिक्त संवेदनशीलता की आवश्यकता थी. फिलहाल साल 2004 में आई ये फिल्म एक गंभीर मुद्दे पर होने के बावजूद दर्शकों के बीच जगह नहीं बना पाई थी और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई थी.