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मुख्यमंत्री कार्यालय अनुभाग-2 द्वारा इन पत्रों के लिफ़ाफ़े खोल कर संबंधित स्थान पर प्रेषित किया जाता है। पत्रों की अधिक संख्या होने के कारण व्यवहारिक रूप से इन्हें किसी रजिस्टर में दर्ज किये जाने की कोई प्रणाली विकसित नहीं है। एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर ने आरटीआई में भेजे गए एक पत्र के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा प्राप्त होने के बाद भी नहीं मिलने की बात कहने पर जन सूचना अधिकारी के खिलाफ राज्य सूचना आयोग में शिकायत की थी, जिसके उत्तर में वसंत कुमार तिवारी ने यह सूचना दी है। नूतन के अनुसार यह वास्तव में बेहद चिंतनीय है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में जनता से प्राप्त पत्रों को दर्ज तक नहीं किया जाता है तथा उन्होंने इस स्थिति में तत्काल सुधार की मांग की है।