पाकिस्तान के चुनावों में डॉ. महेश कुमार मलानी पहले ऐसे हिंदू नेता बन गए हैं, जिन्होंने जनरल सीट से नेशनल असेंबली का चुनाव जीता है. वो दक्षिणी सिंध प्रांत की थारपरकार सीट से विजयी हुए हैं. इस सीट में हिंदुओं की बड़ी आबादी रहती है.
मलानी यहां खासे लोकप्रिय हैं. उनकी सभाओं में काफी भीड़ उमड़ती रही है. वो यहां से प्रांतीय असेंबली में चुने जाते रहे हैं. उनकी पैठ थारपरकार में ना केवल हिंदू बल्कि मुसलमानों के बीच भी है. वो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता हैं. जीत के बाद उन्होंने ट्वीट किया कि थारपरकार ने साबित कर दिया कि वो पूरी तरह से केवल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के साथ हैं.
बड़े अंतर से जीते
उनके ट्विटर अकाउंट पेज वो अपना परिचय प्रबल भुट्टोवादी और दिल से पाकिस्तानी के रूप में देते हैं. उन्होंने ग्रांड डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिद्वंद्वी अरबाब जकाउल्ला को भारी अंतर से हराया. इस संसदीय सीट को एन-222 से नाम से भी जाना जाता है. पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, मलानी ने 37,245 वोट हासिल किए जबकि जकाउल्ला को केवल 18,323 वोट मिले.
दो दशकों से राजनीति में सक्रिय
पुष्करण ब्राह्मण जाति के महेश मलानी उद्योगपति हैं. उनकी कंपनी का मुख्यालय कराची में है. थारपरकार के मीठी में उनके परिवार रसूखदार परिवारों में गिना जाता है. वो दो दशकों से कहीं ज्यादा समय से पाकिस्तान की राजनीति में सक्रिय रहे हैं. लगातार थारपरकार के लोगों के संपर्क में रहते हैं.
सिंध में मंत्री भी रह चुके हैं
मलानी वर्ष 2003 से 2008 तक भी वो पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेंबली के सदस्य रहे हैं. तब वो अल्पसंख्यकों की रिजर्व सीट पर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी द्वारा नामित किए गए थे. वर्ष 2013 के चुनावों में मलानी नेशनल असेंबली तो नहीं पहुंचे लेकिन सिंध की प्रांतीय असेंबली में विधायक के रूप में चुने गए. उसी दौरान वो सिंध प्रांत के सूचना और तकनीक मंत्री भी रह चुके हैं.
बड़ी उपलब्धि
मलानी की ये बड़ी उपलब्धि है क्योंकि वो पहले गैर मुस्लिम राजनीतिज्ञ हैं, जो पाकिस्तान नेशनल असेंबली के चुनाव में जनरल सीट से चुने गए हैं. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए 72 सीटें आरक्षित है.
मलानी पाकिस्तान की अल्पसंख्यक मामलों की समिति समेत कई समितियों के सदस्य रह चुके हैं. उनका ट्विटर अकाउंट ज्यादातर बेनजीर भुट्टो और सभाओं में आने वाली भीड़ की तस्वीरों से भरा है. मलानी के खास रिश्ते उमरकोट के हिंदू राजसी घराने के राणा हमीर सिंह से हैं. जो उनके नामांकन के समय तो मौजूद रहे ही, साथ ही कई चुनावी सभाओं में भी साथ नजर आए. राणा हमीर सिंह खुद सिंध असेंबली के लिए चुने जाते रहे हैं.
थारपरकार सीट, जहां हिंदुओं की आबादी खूब है
पाकिस्तान का थारपरकार जिला सिंध का सबसे बड़ा जिला है. इसका मुख्यालय मीठी में है. हालांकि विकास की दृष्टि से ये पाकिस्तान के सबसे पिछड़े इलाकों में गिना जाता है. इस जिले की खासियत ये भी है कि यहां दुनिया अकेला ऐसा रेगिस्तान है, जिसे उपजाऊ माना जाता है. 1998 में हुई जनगणना में यहां मुस्लिमों की तादाद 59 फीसदी थी जबकि हिंदुओं की 41 प्रतिशत.
बंटवारे के बाद 1947 में जब पाकिस्तान बना तब यहां 80 फीसदी हिंदू हुआ करते थे जबकि मुसलमानों की आबादी 20 प्रतिशत थी. लेकिन 1965 से 1971 के बीच बड़े पैमाने में हिंदुओं और मुसलमानों की भारत व पाकिस्तान के बीच हुई अदला-बदली से इलाके की डेमोग्राफी बदल गई. तब हजारों सवर्ण हिंदुओं ने भारत के थार में आना पसंद किया. वहीं थार से हजारों मुस्लिम परिवारों ने पाकिस्तान की ओर कूच किया. थारपरकार और मीठी में काफी हिंदू मंदिर हैं.