मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में आज भोपाल में हुई कैबिनेट की बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए। कैबिनेट ने विकास प्राधिकरण की योजनाओं को लैंड पूलिंग पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही किसानों की हजारों एकड़ जमीन वापस होगी। मध्य प्रदेश में कुल 84 परियोजनाएं विकास प्राधिकरणों द्वारा संचालित की जा रही है, इनमें से 66 पर 10 प्रतिशत से भी कम काम हुआ है। इन सभी में जमीन किसानों को वापस की जाएगी। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग संशोधन विधेयक से 40 साल बाद कानून में संशोधन होगा। कैबिनेट ने वर्दीधारी पदों के लिए अधिकतम आयु सीमा 28 से बढ़ाकर 33 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। दैनिक वेतन भोगी कर्मी भी अब अन्य कर्मचारियों की तरह 60 की जगह 62 साल में सेवानिवृत्त होंगे। अनुदान प्राप्त कॉलेजों के शैक्षणिक संवर्ग की सेवानिवृत्ति आयु भी अब 62 की जगह 65 साल होगी।
कैबिनेट ने उद्योगों को रियायती दर पर जमीन देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब उद्योगों को एक हेक्टेयर तक जमीन 75 फ़ीसदी रियायत ई-मूल्य पर मिल पाएगी। इसके अलावा उद्योग अपने परिसर में कर्मचारियों के लिए रहवासी क्षेत्र भी विकसित कर सकेंगे। विकास प्राधिकरणों के लिए लागू होने वाली लैंड पूलिंग पॉलिसी में कोई भी आपत्ति होने पर सिविल कोर्ट में प्रकरण दायर नहीं किया जा सकेगा। ऐसे मामलों की सुनवाई सिर्फ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में होगी यदि दो लोगों के बीच जमीन को लेकर विवाद है तो संबंधित भूमि को संरक्षित रखकर शेष पर विकास को जारी रखा जाएगा।
पुर शक्कर मिल में किसानों को गन्ने का मूल्य चुकाने के लिए सरकार ने लोन देना मंजूर किया, इससे दतिया, गुना, राघौगढ़ के किसानों को फायदा होगा। मुख्यमंत्री बागवानी खाद्य प्रसंस्करण योजना में 100 करोड़ रुपए के निवेश को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत अलग-अलग क्रेस्टर बनाए जाएंगे। अधिकतम सब्सिडी 50,0000 तक की मिलेगी। आदिवासियों की कर्ज माफी अध्यादेश को विधानसभा में प्रस्तुत करने की मंजूरी भी कैबिनेट में दे दी गई है। भोपाल के कोहेफिजा में वाटर स्पोर्ट नोट बनाया जाएगा। इसके लिए रक्षा मंत्रालय को एक हेक्टेयर से ज्यादा जमीन कलेक्टर गाइडलाइन पर देने का निर्णय कैबिनेट ने लिया है। इंदौर के निनोरा श्री सत्य साईं अस्पताल को 10 एकड़ जमीन बच्चों के हृदय रोग का अस्पताल खोलने के लिए नि:शुल्क देने का फैसला लिया गया है।
अतिथि विद्वानों को लेकर कमलनाथ कैबिनेट ने महत्वपूर्ण फैसला किया गया है इसके तहत तय किया गया है कि किसी भी अतिथि विद्वान को सेवा से बाहर नहीं किया जाएगा। खाली पदों पर इन का समायोजन होगा, पीएससी परीक्षा में 20 अंक अतिरिक्त अनुभव के आधार पर।