शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने शिया मुसलमानों के लिए मांगा आरक्षण

वार्षिक अधिवेशन में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के विलय का भी मुद्दा उठा
शिया बोर्ड ने ऐतराज जताते हुए दोनों को अलग-अलग रखने की मांग की

लखनऊ : ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने शिया मुसलमानों के लिए आरक्षण की मांग की है। राजधानी लखनऊ में रविवार को आयोजित बोर्ड के वार्षिक अधिवेशन में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के विलय का भी मुद्दा उठा, जिस पर बोर्ड ने ऐतराज जताते हुए दोनों को अलग-अलग रखने की मांग की। राजधानी के साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में आयोजित अधिवेशन की शुरुआत तिलावते कुरान से हुई। बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सायम मेंहदी नकवी ने अधिवेशन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए वर्तमान समय में बोर्ड की जरूरत और प्रासंगिकताओं पर प्रकाश डाला। मौलाना एजाज अतहर ने अधिवेशन में चर्चा किये जाने वाले प्रस्तावों और मुद्दों को रखा। अधिवेशन में सरकार से मांग की गई कि सऊदी अरब में रसूल की बेटी और चार इमामों की कब्रें, जो जन्नतुल बकी मदीना मुनव्वरा बगैर साये के हैं, उन पर रोजो को तामीर करने के लिए हिन्दुस्तान के शियों को इजाजत सऊदी सरकार से दिलाया जाये।

अधिवेशन में शिया कौम से जुड़े धार्मिक, शैक्षिक, राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक समस्याओं पर देश भर से जुड़े उलेमाओं ने अपने विचार रखे। यह तय हुआ कि शिया बोर्ड देश भर के शिया मुसलमानों की कामयाबी और खुशी के लिए पूरी शिद्दत से कार्य करता रहेगा। बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने बताया कि बोर्ड देश भर के शिया मुसलमानों की समस्याओं को दूर करने के लिए संकल्पित है। इसके लिए पूरे देश में बोर्ड अपनी कमेटियां गठित करेगा और शहर-शहर कार्यक्रम आयोजित करने का कार्य करेगा। उन्होंने बताया कि अधिवेशन के दौरान नई दिल्ली में शिया महासम्मेलन आयोजित करने का संकल्प भी लिया गया। मौलाना अब्बास ने बताया कि बोर्ड ने विघटनकारी ताकतों से बचते हुए कौम के हित के लिए शिया मुसलामानों को आगे आने का आह्वान किया। बोर्ड ने केन्द्र और प्रांत की सरकारों से अनुरोध किया कि शिया समुदाय की जनसंख्या को देखते हुए संसद और विधायिकाओं में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित किया जाये। अधिवेशन में सरकार से यह भी मांग की गई कि भारतीय शिक्षा पाठ्यक्रम में 1400 वर्ष पहले मानवता और सच्चाई के लिए कुर्बानी देने वाले इमाम-ए-हुसैन (अ.स.) का नाम शामिल किया जाये। उत्तर प्रदेश की सरकार से अवध के नवाबों के नाम लखनऊ की सड़कों के नाम रखने की मांग की गई।

अधिवेशन में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के विलय का भी मुद्दा उठा, जिस पर बोर्ड ने ऐतराज जताते हुए दोनों को अलग-अलग रखने की मांग की। प्रदेश सरकार से हुसैनाबाद ट्रस्ट को एक स्वतंत्र बनाये जाने की मांग की गई। बोर्ड ने भारत सरकार से शिया मुस्लिमों को शैक्षिक संस्थानों व नौकरियों में शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन की बुनियाद पर आरक्षण देने की मांग की। अधिवेशन में देश में फैल रहे आतंकवाद की निंदा करते हुए इससे निपटने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की गई। देश भर से निकलने वाले मोहर्रम के जुलूस की सुरक्षा देने के लिए भी अधिवेशन में सरकार से मांग का प्रस्ताव पास किया गया। अधिवेशन में कहा गया कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में केवल गैर हिन्दू ही नहीं प्रताड़ित किये जा रहे हैं, बल्कि शिया मुसलमानों पर भी जुल्म हो रहे हैं, अतः उन्हें भी नागरिकता संशोधन बिल के अन्तर्गत लाते हुए भारत में नागरिकता प्रदान किया जाये। लखनऊ की मशहूर जरदोजी कला को उद्योग का दर्जा दिये जाने की मांग की गई।

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