उन्नाव की सनसनीखेज वारदात ने उत्तर प्रदेश में विपक्ष की सियासत का पारा चढ़ा दिया। सोनभद्र और उन्नाव के माखी कांड पर तेजी दिखाने वाली कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा शनिवार को जहां सरकार को घेरने निकलीं, वहीं अखिलेश यादव और मायावती ने भी मैदान में मोर्चा संभाल लिया। इसके बाद इस घटना पर सक्रियता दिखाने की होड़ दिनभर नजर आई।
दो दिवसीय दौरे पर लखनऊ आईं प्रियंका वाड्रा का कार्यक्रम तय था। शुक्रवार की तरह शनिवार को भी शाम सात बजे तक उनकी बैठकें होनी थीं, लेकिन शुक्रवार रात को दिल्ली में उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता की मौत के बाद उन्होंने रणनीति बदली और चुपचाप वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ सुबह गोखले मार्ग स्थित पूर्व मंत्री शीला कौल के घर से उन्नाव के लिए ठीक 10.30 बजे रवाना हो गईं।
कुछ ही देर बाद प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम और मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के साथ सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव विधान भवन के बाहर पहुंच गए। गेट नंबर एक के सामने धरने पर बैठ गए। हालांकि वह ज्यादा देर वहां नहीं रुके। सांकेतिक धरना देकर चले गए। अब इंतजार बसपा के कदम का था। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने तुरंत ट्वीट कर सूचना दी कि वह राजभवन पहुंच रही हैं। दोपहर में उन्होंने जाकर राज्यपाल को न सिर्फ ज्ञापन सौंपा, बल्कि मीडिया से बात भी की।
विपक्षी प्रतिद्वंद्विता के साथ ही सपा-बसपा मुखिया ने सरकार के उस तंज का भी जवाब दिया कि यह दोनों सिर्फ ट्विटर वाले नेता हैं। हालांकि, अखिलेश-मायावती के मैदान में आने के बाद कांग्रेस ने भी लखनऊ को खाली नहीं छोड़ा। प्रियंका उन्नाव में थीं तो कार्यकर्ताओं ने यहां ताकत झोंकी।
शाम को दिल्ली रवाना हो गईं प्रियंका
उन्नाव से लौटकर प्रियंका पूर्व मंत्री शीला कौल के घर पहुंचीं। यहां रिश्तेदारों से बातचीत की। फिर शाम करीब 6.30 बजे लखनऊ एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए रवाना हो गईं। उन्होंने जल्द ही सलाहकार समिति की बैठक दिल्ली में बुलाने की बात कही।