शोधकर्ताओं ने खानपान में समय की पाबंदी को लेकर किए अध्ययन में पाया है कि इससे उन लोगों को फायदा हो सकता है, जिनके डायबिटीज से पीड़ित होने का सबसे ज्यादा खतरा है। अगर ऐसे लोग तीन माह तक रोजाना सिर्फ दस घंटे या इससे कम समय में अपना खानपान पूरा कर लेते हैं तो उनकी सेहत में सुधार हो सकता है।
सेल मेटाबोलिज्म जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, खाने में समय की पाबंदी से मेटाबोलिक सिंड्रोम से पीड़ित लोगों की सेहत में सुधार पाया गया। हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्राल स्तर जैसे कारकों के समूह का नाम मेटाबोलिक सिंड्रोम है। इस तरह के कारकों से हृदय रोग से लेकर स्ट्रोक और डायबिटीज तक का खतरा बढ़ जाता है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता सचिन पांडा ने कहा, ‘दस घंटे के दौरान खानपान निपटा लेने से बाकी 14 घंटे की अवधि में आपके शरीर को दुरुस्त होने का मौका मिल जाता है।’
25 की उम्र में कोलेस्ट्राल जांच दिलाएगी स्ट्रोक से निजात
एक अध्ययन का कहना है कि लोगों को 25 की उम्र से ही अपने कोलेस्ट्रोल स्तर की जांच करानी चाहिए। इसकी मदद से जीवन में आगे चलकर होने वाले हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे का अनुमान लगाने में मदद मिल सकती है। लैंसेट जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार, बचाव के लिए खानपान में बदलाव और उपचार के जरिये कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करना बेहतर तरीका हो सकता है।
कोलेस्ट्राल की एस्ट्रोजन व टेस्टोस्टेरॉन जैसे हार्मोन और विटामिन डी समेत कुछ दूसरे कंपाउंड को बनाने में जरूरत पड़ती है। हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल) कोलेस्ट्राल अच्छा होता है। यह शरीर को स्वस्थ रखने में मददगार है, जबकि लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) सेहत के लिए नुकसानदेह है। यह धमनियों को बाधित कर सकता है।