लखनऊ : मां भगवती पार्वती की तपस्या व भगवान शंकर के प्रति अनन्य प्रेम देखकर सप्त ऋषियों ने मां पार्वती की वन्दना करते हुये उनकी मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया । ‘‘नगवा तो मैना जी पे छोड़े फूंफकार हो, कलइया में बिच्छू मारे परिछन की बार हो..’’ विश्वनाथ मन्दिर के 28वें स्थापना दिवस के मौके पर श्रीरामलीला पार्क सेक्टर-’ए’ सीतापुर रोड योजना कालोनी में स्थित मन्दिर परिसर में चल रहे मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम कथा के दूसरे दिन गुरुवार को भगवान शंकर के विवाह का प्रसंग सुनाया। कथाव्यास आचार्य योगेश शास्त्री ने कहा कि बारात पहुंचने पर माता मैना थाली सजाकर हर्ष के साथ भगवान शंकर का परछन करने चली लेकिन भोलेनाथ का भयानक रूप देखकर भयभीत हो गईं।
उन्होनें बताया कि जब भगवान शंकर ने पाणिग्रहण किया तब सभी देवता ह्दय से बड़े हर्षित हुये और श्रेष्ठ मुनिगण वेदमंत्रों का उच्चारण व देवगण शिवजी की जय-जयकार करने लगे। वर्तमान में फैली तलाक जैसी कुरीति पर व्याख्या करते हुये आचार्य योगेश शास्त्री ने कहा कि माता-पिता के द्वारा उचित संस्कार न देना इसका सबसे बड़ा कारण है। ‘‘करहूं सदा शंकर पद पूजा, नारि धरम् पतिदेव न दूजा।’’ पहले मातायें कन्या की विदाई के वक्त शिक्षा देती थीं कि सास-ससुर व परिवार की सेवा करना परम् कर्तव्य है और वर्तमान में विदाई के वक्त कन्या को समझाया जाता है कि बेटी डरना नहीं।