डॉ. रमन सिंह के इस आरोप के बाद सदन में हंगामा हो गया। सत्ता पक्ष के कई मंत्री और वरिष्ठ विधायक खड़े हो गए। इस बीच मुख्यमंत्री भूपेश ने भी तीखे सवाल दागे। उन्होंने पूछा कि विपक्ष नान घोटाले की जांच क्यों रोकना चाहता है। नान ऐसा मामला है, जहां नेता प्रतिपक्ष ने जांच रोकने हाईकोर्ट में पीआईएल लगाया है। जब आप सही थे तो जांच रोकने के लिए आखिर आपको पीआईएल लगाने की क्या जरूरत पड़ गई। मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा कि आपने पंद्रह साल में जो करोड़ों रुपये लुटाया, उसका जवाब कौन देगा? आपने कब- कब, कितने-कितने वकीलों को बुलाया और कितना खर्च किया, इसका जवाब कौन देगा। बीच में ही पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने मुख्यमंत्री से पूछा कि नान घोटाले में किसके नाम हैं और उस पर क्या कार्रवाई हुई। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि नान घोटाले की डायरी में सीएम मैडम और सीएम साहब आदि नाम शामिल है, इसीलिए एसआईटी का गठन किया गया है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि नान घोटाले में 36 हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। इस पर सत्ता पक्ष व विपक्ष में काफी देर तक हंगामा होता रहा।
Chhattisgarh : पूर्व सीएम रमन सिंह ने लगाया आरोप, हरीश साल्वे व चिदंबदम पर 141 लाख खर्च, मचा बवाल
रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा में सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने जांच के नाम पर प्रदेश का पैसा लुटाया गया है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में दायर नान प्रकरण की पीआईएल में शासन ने जिन बाहरी वकीलों को नियुक्त किया है, वे न ही छत्तीसगढ़ आए और न ही बहस-जिरह आदि में भाग लिया। इसके बावजूद उन्हें करोड़ो रुपये दिया गया है। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व पूर्व सीएम डाॅ. रमन सिंह में गरमागरम बहस हो गई।
दोनों ने एक-दूसरे पर तीखे सवाल दागे। डॉ. रमन सिंह ने नान घोटाले की सुनवाई में हिस्सा लेने वाले वकीलों के बारे में पूछा कि हरीश साल्वे जब दिल्ली से यहां आए ही नहीं तो उन्हें 81 लाख रुपये का भुगतान कैसे हो गया। चिदंबरम को सरकारी प्लेन में हवाई यात्रा की सुविधा दी गई। चिदंबरम को 60 लाख तीन हजार का भुगतान किया गया। रविन्द्र श्रीवास्तव उच्च न्यायालय में आए ही नहीं, दयन कृष्णन किसी दूसरे केस के लिए खड़े हुए फिर भी राज्य सरकार ने भुगतान किया है। डॉ. रमन सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार सही जवाब न देकर विधानसभा को गुमराह कर रही है। सभी वकीलों की नियुक्ति नई दिल्ली से की गई। जिसका भारी भरकम भुगतान किया गया है।