एनीमिया मुक्त भारत अभियान का शुभारम्भ
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी एवं एनीमिया मुक्त भारत अभियान के नोडल अधिकारी डॉ.ए.के.दीक्षित ने कहा- जब खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा आवश्यक स्तर से कम हो जाती है तब यह स्थिति एनीमिया कहलाती है| एनीमिया होने का एक मुख्य कारण पेट में कीड़े भी होना है| अतः इसे रोकने के लिए अल्बेंडाज़ोल की गोली हर छः माह पर खानी चाहिए| डॉ. दीक्षित ने बताया यदि एक किशोरी एनीमिया से ग्रस्त है तो वही किशोरी आगे चलकर माँ बनती है तो उसका गर्भस्थ शिशु भी कमजोर होगा और वह जन्म से कुपोषित होगा| इसलिए सरकार द्वारा एनीमिया से मुक्ति के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन इन कार्यक्रमों को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए एनीमिया मुक्त भारत अभियान शुरू किया गया है| जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी ने बताया कि आयरन खाली पेट नहीं खानी है| खाना खाने के 1 घंटे बाद ही आयरन खानी है तथा यह शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि हर बच्चे को वह दवा अपने सामने खिलायेँ|
डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटेर्वेंशन सेंटर के मैनेजर डॉ. गौरव सक्सेना ने बताया- एनीमिया के लक्षण हैं कि हथेलियाँ, नाखून, आंखे व जबान पीली या सफ़ेद हो जाती है| जल्दी थकान आ जाती है, सांस फूलती है, एकाग्रता में कमाई आती है, काम में मन नहीं लगता है। यूनिसेफ़ के डिस्ट्रिक्ट मोबिलाइज़ेशन कोर्डिनेटर सौरभ अग्रवाल ने कहा 6 माह से 5 साल के बच्चों को आयरन का सिरप पिलाया जाता है 6 साल से 9 साल के बच्चों को आयरन की एक गुलाबी गोली तथा 10 साल से 19 साल के बच्चों को आयरन की नीली गोली सप्ताह में एक बार खानी है| स्कूल जाने वाले बच्चों को स्कूलों में व स्कूल न जाने वाले बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से आयरन की दवा खिलाई जाती है। इस अवसर पर अपर मुख्य चिकित्साधिकरी डॉ. अजय राजा, डॉ. आरबी सिंह, कॉलेज की प्रधानाध्यापक सुमन व कॉलेज के अन्य शिक्षक उपस्थित थे|