अगर एक बार किसी को एड्स जो जाता है तो लोगों के दिलों में भय बैठ जाता है कि उसको ठीक होने में पता नहीं कितना समय लगेगा। अब ऐसे लोगों को सावधानी के साथ- साथ स्यायी इलाज भी मिल सकता है। खबर है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एचआईवी / एड्स से पीड़ित रोगियों के उपचार के लिए एक नई दवा शुरू करने की योजना बनाई है। इस योजना में डोलटैगवीर नाम की दवा से ऐसे लोगों का इलाज किया जाएगा जो कि फरवरी 2020 तक बाजार में आ जाएगी।
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन उप महानिदेशक डॉ नरेश गोयल न्यू एजेंसी एएनआइ से बातचीत करते हुए बताया कि एड्स से निपटने के लिए टीएलइ (TLE) दवा का उपयोग कर रहे थे, लेकिन अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने फैसला किया है कि इससे निपटने के लिए टीएलडी (TLD) दवा का इस्तेमाल करेंगे। इस दवा का नाम डॉलग्रेवीर( Dolutegravir) है।
उन्होंने बताया कि यह इस दवा से एड्स जैसी बीमीरी से निजात मिलने की पूरी संभावना है। उन्होंने कहा कि हमने इसके लिए डॉक्टरों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है कि मरीजों को नई दवा कैसे दी जाए। जनवरी तक इस योजना पर काम किया जाएगा। इसके बाद फरवरी में मार्केट में इसका इलाज मिल सकेगा। आधिकारिक सूचना के मुताबिक, एचआईवी (पीएलएचआईवी) से लगभग 21 लाख 40 हजार लोग ग्रस्त हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2030 तक भारत से एचआईवी / एड्स की महामारी को समाप्त करके सतत विकास (एसडीजी) को प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। आपको बता दें कि देशभर में 1 दिसंबर को एड्स दिवस मनाया गया था। इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने एक कार्यक्रम में कहा कि 82 प्रतिशत लोगों को निशुल्क एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी दी जा रही है।
नाको के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, हर साल लगभग 88,000 नए संक्रमण एड्स की में आते हैं। नाको पूरी तरह से आईटी-सक्षम प्रणाली की जानकारी प्रदान करने वाला संगठन है। 1980 के दशक से NACO देश में एचआईवी / एड्स की व्यापकता को कम करने और इस बीमारी से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसने बीमारी से लड़ने के लिए 18 केंद्र सरकार के मंत्रालयों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं।