महाराष्ट्र में सरकार गठन के बाद से ही सियासत तेज हो गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 51 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। अजित पवार भाजपा का साथ छोड़ने को तैयार नहीं हैं।जयंत ने ट्वीट कर अजित से वापस लौट आने की खुली अपील की है। इन सबके बीच महाराष्ट्र सरकार भी सक्रिय हो गई है। देर रात अजित पवार ने वर्षा पहुंचकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। विधानसभा में बहुत साबित करने और सरकार बचाने के लिए भाजपा भी मौका नहीं खोना चाहती है। आइए जानते है भाजपा के पास सरकार बचाने के लिए क्या संभावित विकल्प हैं…
1.अजीत ने राकांपा के सभी 54 विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल को दे रखा है। अब शरद पवार के सीधा मोर्चा संभाल लेने के बाद देखना होगा कि शक्ति परीक्षण के समय अजीत राकांपा की कुल विधायक संख्या 54 की दो तिहाई संख्या यानी 36 विधायकों को भाजपा के पक्ष में ला पाते हैं या नहीं। अजीत पवार के पास दूसरा रास्ता अपने समर्थक 12-15 विधायकों को सदन में अनुपस्थित रहने के लिए राजी करना हो सकता है।
2. भाजपा ने अचानक देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने का फैसला अकेले अजीत पवार के दम पर तो नहीं लिया होगा। भाजपा के पास दूसरा रास्ता अन्य दलों से ऐसे विधायकों को राजी करना होगा, जो सदन में बहुमत सिद्ध करने के समय अपने दल के व्हिप का उल्लंघन कर सदन से बाहर चले जाएं। चार प्रमुख दलों के अलावा चुनकर आए 29 अन्य विधायकों में से 14 के समर्थन का दावा भाजपा पहले से करती आ रही है। सरकार बनने की सुनिश्चितता पर इसमें पांच-छह की संख्या और बढ़ सकती है।
3. भाजपा का एक ‘सॉफ्ट टारगेट’ कांग्रेस भी हो सकती है। इस समय 44 सदस्यों के साथ वह सबसे छोटा दल है। आश्चर्य की बात यह भी है कि कांग्रेस के विधायक अभी तक अपना कोई नेता भी नहीं चुन पाए हैं (या किसी रणनीति के तहत नहीं चुना है)। कांग्रेस विधायकों से समूह के रूप में या अलग-अलग संपर्क किया जा सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने माना है कि भाजपा ने उन सभी होटलों में कमरे बुक कर रखे हैं जहां कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के विधायक ठहरे हैं। इंटरकॉम पर उनसे संपर्क की कोशिश भी की जा रही है।
चार नेताओं को सौंपा जिम्मा
बहुमत का आंक़़डा नीचे लाने के लिए भाजपा ने अपने चार नेताओं को सक्रिय कर दिया है। इनमें कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए राधाकृष्ण विखे पाटिल एवं नारायण राणे और राकांपा से आए बबनराव पाचपुते एवं गणेश नाइक शामिल हैं।
स्पीकर के चुनाव में ही हो जाएगी पहली परीक्षा
फडणवीस के बहुमत की झलक तो विधानसभा स्पीकर के चुनाव के समय ही मिल जाएगी। राज्यपाल ने उन्हें 30 नवंबर तक बहुमत साबित करने को कहा है। यदि सुप्रीम कोर्ट यह अवधि घटाती है तो सबसे पहले विस सदन बुलाकर नव निर्वाचित विधायकों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी। यह जिम्मा अस्थायी विधानसभा अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) का होगा। इसके बाद पूर्णकालिक अध्यक्ष का चुनाव भी प्रोटेम स्पीकर की अध्यक्षता में ही होता है। सत्ताधारी दल की पहली परीक्षा इसी चुनाव में हो जाती है। यदि भाजपा अपने स्पीकर को जितवा सकी तो उसके बहुमत पाने के संकेत मिल जाएंगे। अन्यथा संभव है कि फ़़डनवीस बहुमत सिद्ध करने की नौबत आने से पहले ही कुर्सी छोड़ दें।