JNU पर बर्बर हमला गरीबों को उच्चशिक्षा से वंचित करने का षड्यंत्र -रामगोविन्द चौधरी

मोदी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरें यूपी के छात्र और युवा

लखनऊ : नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारी फीस वृद्धि और उसका विरोध कर रहे निहत्थे छात्रों पर बर्बर सरकारी हमले की कड़ी निंदा की है और कहा है कि इस हमले का मुख्य उद्देश्य गरीब, कमजोर, मजदूर, दलित, किसान और अल्पसंख्यकों के बच्चों को उच्चशिक्षा से वंचित करना है। इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश के छात्र और युवाओं को तुरन्त सड़क पर उतरना चाहिए। शनिवार को जारी एक प्रेसनोट में नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि ऐसा नहीं हुआ तो केवल कुछ कारपोरेट घरानों के लिए काम कर रही देश व प्रदेश की सरकारें अपने षणयंत्र में सफल हो जाएंगी। उन्होंने कहा है कि जेएनयू के छात्र देश और प्रदेश की सरकारों के इस षडयंत्र के खिलाफ अपना विचार प्रकट करते रहते हैं। उनकी इस आवाज को बंद करने के लिए ही पहले जेएनयू में भारी फीस वृद्धि की गई और जब जेएनयू के छात्र इसके प्रतिवाद में देश की सन्सद के समक्ष अपनी पीड़ा व्यक्त करने पहुँचे तो उन्हें बहशी तरीके से पीटा गया। उनके खून से तरबतर चेहरे और कपड़े देखने के बाद जो भी चुप रहेगा, उसे इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।

रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि दुनियां के अधिसंख्य विकसित देश अपने अपने देश में निःशुल्क शिक्षा देते हैं। जर्मनी में तो उच्चशिक्षा भी निःशुल्क है। कहीं शुल्क है भी तो नाम मात्र का। नार्वे में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और डॉक्टरेट पूरी तरह से निःशुल्क है। स्वीडन, आस्ट्रिया और फिनलैंड में भी शिक्षा निःशुल्क है। यहाँ नान यूरापियन से कुछ शुल्क लिया जाता है, वह भी केवल नाम भर का। स्वीडन में शोध करने वाले छात्रों को विधिवत वेतन दिया जाता है। चेक रिपब्लिक सभी को मुफ्त शिक्षा देता है। फ्रांस में उच्च शिक्षा पूरी तरह मुफ्त है। कुछ पब्लिक विश्वविद्यालयों में शुल्क है तो लेकिन नहीं के बराबर। बेल्जियम और ग्रीस में भी नाममात्र के शुल्क पर शिक्षा मुहैया कराई जाती है। स्पेन सभी यूरोपीय नागरिकों के लिए फ्री शिक्षा मुहैया कराता है। डेनमार्क, आइसलैंड, अजेंटीना, ब्राजील, क्यूबा, हंगरी, तुर्की, स्काटलैंड, माल्टा आदि देश स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक, सभी तरह की शिक्षा मुफ्त में मुहैया कराते हैं। रूस में भी मेरिट के आधार पर छात्रों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। फिलीपींस ने 2017 में कानून बनाकर शिक्षा फ्री कर दिया है। पड़ोसी देश

रामगोविंद चौधरी ने कहा कि श्रीलंका में भी मेडिकल की पढ़ाई फ्री है। थाईलैंड 1996 से मुफ्त शिक्षा मुहैया करा रहा है। और भारत में फीस बढ़ायी जा रही है। छात्र जब इसका विरोध करते हैं तो उनके ऊपर दुश्मन देश की तरह हमला बोला जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि देश के हर बच्चे को निःशुल्क शिक्षा मिलनी चाहिए। जब तक हम इस आदर्श स्थिति में नहीं पहुँचते हैं, तबतक सस्ती शिक्षा मुहैया कराना सभी सरकारों का दायित्व है। इस दायित्व के तहत अच्छे दिन देने का वादा कर आई सरकार को फीस कम करना चाहिए और हो रहा है, ठीक उलट। नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि सस्ती शिक्षा की लड़ाई केवल जेएनयू की लड़ाई नहीं है। यह देश के हर गरीब, कमजोर, मजदूर, किसान, दलित और अल्पसंख्यकों के बच्चे की लड़ाई है। उत्तर प्रदेश के छात्र और युवाओं को इस लड़ाई में बढ़चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।

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