कोलकाता : राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की तरह नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) का भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विरोध शुरू कर दिया है। सोमवार को उन्होंने विधेयक को भ्रम जाल करार दिया और दावा किया कि इसके जरिए भी वैध नागरिकों को नागरिकता खोने के लिए मजबूर किया जाएगा। उन्होंने पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले में पार्टी की सांगठनिक बैठक को संबोधित करते हुए यह दावा किया। केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रस्तावित विधेयक बंगालियों और हिंदुओं को देश के वैध नागरिकों के रूप में बाहर करने हेतु एनआरसी की तरह एक और ‘‘जाल’’ है।
दरअसल, संसद के सोमवार से शुरू हुए शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को पटल पर रखने के लिए सूचीबद्ध किया जा चुका है। लोकसभा द्वारा आठ जनवरी को इस विधेयक को पारित किये जाने के बाद इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया गया था और लोकसभा भंग होने के कारण इस विधेयक की अवधि समाप्त हो गई थी। इसके जरिए बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और दुनिया भर के अन्य देशों से भारत में आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिल सकेगी।
भाजपा ने पूर्व में ही इस विधेयक पर समर्थन के लिए तृणमूल कांग्रेस को चुनौती दी थी। असम में एनआरसी लागू होने के बाद बड़ी संख्या में गैर मुस्लिम लोग भी नागरिकता सूची से बाहर किए गए हैं जिनके लिए ममता लगातार आवाज उठाती रही हैं। इस पर भाजपा का कहना है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के जरिए उन सभी लोगों को देश की स्थाई नागरिकता दी जाएगी, अगर मुख्यमंत्री को वाकई में उनकी चिंता है तो इस विधेयक का समर्थन करना चाहिए। लेकिन अब संसद के पटल पर इसके पेश किए जाने के पहले ही मुख्यमंत्री ने जब इसका विरोध शुरू कर दिया है तो साफ है कि उनकी पार्टी नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करने वाली नहीं है।