ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुर्नविचार याचिका दाखिल करने के निर्णय के बाद निर्मोही अखाड़ा भी कुछ करने की योजना में हैं। निर्मोही अखाड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र से मिलने के लिए समय मांगा है।
अयोध्या में विवादित भूमि पर अपना मालिकाना हक जताते हुए निर्मोही अखाड़ा ने भी एक मुकदमा दायर किया किया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निर्मोही अखाड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने का फैसला लिया है। निर्मोही अखाड़ा के प्रवक्ता प्रभात सिंह ने इस बाबत अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज झा को सौंपा ज्ञापन है। इसके साथ ही ज्ञापन प्रधानमंत्री को भी ईमेल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में निर्मोही अखाड़ा का पांच सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहता है। निर्मोही अखाड़ा के सदस्य अयोध्या के राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा को राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल करने का निर्देश दिया है।
प्रधानमंत्री से मिलने का यह फैसला रविवार को अयोध्या में हुई निर्मोही अखाड़ा की बैठक में लिया गया। राम जन्मभूमि मामले में निर्मोही अखाड़ा का प्रतिनिधिमंडल राम मंदिर निर्माण और इसकी देखरेख के लिए बनने वाले ट्रस्ट में अपनी भूमिका को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी से मिलना चाहता है। पीएम मोदी से मुलाकात के बाद निर्मोही अखाड़ा अपनी आगे की रणनीति तय करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया था और निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राम मंदिर निर्माण और उसकी देखरेख के लिए ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में निर्मोही अखाड़े की लिखित दलील में कहा गया था कि विवादित भूमि का आंतरिक और बाहरी अहाता भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में मान्य है। हम अयोध्या में रामलला के सेवायत हैं। यह हमारे अधिकार में सदियों से रहा है। निर्मोही अखाड़े ने अपनी दलील में कहा था कि हमें ही रामलला के मंदिर के पुनर्निर्माण, रखरखाव और सेवा का अधिकार मिलना चाहिए।
निर्मोही अखाड़े के पंचो की बैठक रविवार को अखाड़े के मंदिर परिसर मे हुई, जिसमें राम मंदिर के पक्ष मे आए फैसले व मंदिर के निर्माण को लेकर समीक्षा की गई। यहां निर्मोही अखाडा के महंत दिनेंद्र दास के मुताबिक देश के कोने कोने के 13 पंचों में से कुल आठ पंच बैठक मे शामिल हुए। निर्मोही अखाड़ा की बैठक मे अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास, सरपंच राजा राम चंद्राचार्य, भगवानदास छतरपुर ,मनमोहन दास वृंदावन, नरसिंहदास चित्रकूट, धनश्याम दास गुप्तारघाट अयोध्या, सुरेशदास राजस्थान, राम सेवकदास ग्वालियर के साथ करीब 25 शिष्य शामिल हुए। एकमत होकर कोर्ट के फैसले का स्वागत किया साथ ही यह भी तय किया गया कि कोर्ट के फैसले के खिलाफ कोई रिव्यू याचिका दायर नही की जाएगी।
दिनेंद्र दास ने कहा कि प्रभु राम के मंदिर के पक्ष में आए आदेश को हम उन्हीं का आदेश मानते हैं। साथ ही जल्द इसका निर्माण होते देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बैठक में पंचो ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी स्वागत किया जिसमें निर्मोही अखाड़ा को नए ट्स्ट में शामिल कर प्रबंधकीय जिम्मेदारी में शामिल करने को कहा गया है। इस सिलसिले में अखाडा का प्रतिनिधि मंडल जल्द ही पीएम से समय लेकर उनसे मिलेगा। पीएम से ट्स्ट मे निर्मोही अखाड़े की भूमिका के बारे मे चर्चा भी करेगा।
महंत दिनेंद्र दास ने कहा कि जिन बिंदुओ पर खास तौर पर चर्चा की गई । उनमे केार्ट के आदेश का स्वागत, पीएम मोदी से समय लेकर मिलना, ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा की भूमिका के बारे मे केंद्र सरकार से वार्ता, रिव्यू याचिका न दायर करना, ट्रस्ट मे कोर्ट के फैसले के मुताबिक महत्वपूर्ण स्थान व जिम्मेदारी मिलना आदि शामिल है। इसपर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किए गए।
महंत दिनेंद्र दास व अखाडा के पंचो की राय है कि मंदिर निर्माण में निर्मोही अखाड़ा बाधक न बन कर सकारात्मक भूमिका निभाएगा। मंदिर निर्माण में राम जन्म भूमि न्यास के पत्थरों व अन्य सामाग्री के उपयेाग व उसके माडल पर मंदिर के निर्माण पर भी निर्मोही अखाड़ा को कोई ऐतराज नही है। कहा कि हम चाहते हैं कि राम मंदिर को निर्माण जल्द शुरू हो कोई बाधा इसमे न खड़ी हो। देश में सद्भाव कायम रहे तभी तो निर्मोही अखाड़े के वैराग्य की भावना पूरी होगी।
निर्मोही अखाड़ा, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से मान्यता प्राप्त 14 अखाड़ों में से एक है। इसका संबंध वैष्णव संप्रदाय से है। इस अखाड़े ने 1959 में बाबरी मस्जिद की विवादित भूमि पर अपना मालिकाना हक जताते हुए मुकदमा दायर किया किया था।