शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख वसीम रिजवी ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के नेता ओवैसी को आईएसआईएस नेता अबू बक्र-अल बगदादी के बराबर करार दिया। कहा, आज के अबू बक्र-अल बगदादी और असदुद्दीन ओवैसी के बीच कोई अंतर नहीं है। बगदादी के पास एक सेना, हथियार और गोला-बारूद था, जिसे वह आतंक फैलाने के लिए इस्तेमाल करता था। वहीं ओवैसी अपनी जबान (भाषण) के माध्यम से आतंक पैदा कर रहा है।
ओवैसी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर लगे प्रतिबंध
वसीम रिजवी राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद शीर्षक विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसल के बाद एआइएमआइएम नेता द्वारा दिए गए भाषणों के संदर्भ में बात कर रहे थे। शनिवार रात एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, यह सही समय है कि ओवैसी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। इससे पहले 11 नवंबर को अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कथित रूप से उकसाने वाले बयान के लिए एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। फैसले के उच्चारण के बाद ओवैसी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय वास्तव में सर्वोच्च है, लेकिन अचूक नहीं है।
क्या कहा था ओवैसी ने
ओवैसी ने कहा था, मैं फैसले से संतुष्ट नहीं हूं। हमें संविधान पर पूरा भरोसा है। हम अपने कानूनी अधिकारों के लिए लड़ रहे थे। हमें दान के रूप में पांच एकड़ जमीन की जरूरत नहीं है। शिया वक्फ बोर्ड प्रमुख ने भी इस फैसले पर अपने रुख के लिए अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) की खिंचाई की।
रूढिवादी मानसिकता को हवा दे रहे कुछ दल
रिजवी ने कहा, ‘यह सर्वोच्च न्यायालय का एक बड़ा निर्णय था, जिसके विकल्प मैंने अपने जीवन में नहीं देखे हैं। इसने सभी पक्षों को संतुष्ट किया, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और असदुद्दीन ओवैसी जैसे कुछ दल हैं जो रूढिवादी मानसिकता को हवा दे रहे हैं।’ उन पर भी प्रतिबंध होना चाहिए। इससे पहले 15 नवंबर को रिजवी ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि न्यास को 51000 रुपये दान दिया था।