चन्दन मित्रा हुए तृणमूल में शामिल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को शहीद दिवस रैली निकाली, जिसमे उन्होंने मोदी सरकार को जमकर कोसा. इस रैली के बाद भाजपा के नेता और पूर्व संसद चन्दन मित्रा ने बीजेपी का साथ छोड़, ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से नाता जोड़ लिया.  इस बात की पुष्टि खुद तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने रैली के दौरान मंच पर खड़े होकर की. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को शहीद दिवस रैली निकाली, जिसमे उन्होंने मोदी सरकार को जमकर कोसा. इस रैली के बाद भाजपा के नेता और पूर्व संसद चन्दन मित्रा ने बीजेपी का साथ छोड़, ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से नाता जोड़ लिया.  इस बात की पुष्टि खुद तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने रैली के दौरान मंच पर खड़े होकर की.     गौरतलब है कि चन्दन मित्रा बीजेपी के नेता और दो बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं. चन्दन मित्रा एक समाचार पत्र के प्रबंध निदेशक और संपादक भी हैं, उन्होंने इसी हफ्ते की शुरुआत में भाजपा से इस्तीफा दे दिया था. 2003 में उन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया था, 2014 में उन्होंने लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के हुगली क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था.    आपको बता दें कि सिर्फ भाजपा के चन्दन मित्रा ही तृणमूल में शामिल नहीं हुए हैं, बल्कि कांग्रेस के भी 4 विधायक समर मुखर्जी , अबु ताहिर , सबीना यास्मीन और अखरूजमां ने ममता का दमन थम लिया है. अब इसमें सोचने वाली बात ये है, कि एक तरफ तो तृणमूल, महागठबंधन में कांग्रेस के साथ है और एक साथ चुनाव लड़ने का दावा भी कर रहे हैं, वहीँ दूसरी और कांग्रेस के विधायक अपनी पार्टी छोड़ तृणमूल का हाथ पकड़ रहे हैं, समझ नहीं आता कि जब ये सब साथ ही हैं तो इस दलबदली का क्या राज़ है

गौरतलब है कि चन्दन मित्रा बीजेपी के नेता और दो बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं. चन्दन मित्रा एक समाचार पत्र के प्रबंध निदेशक और संपादक भी हैं, उन्होंने इसी हफ्ते की शुरुआत में भाजपा से इस्तीफा दे दिया था. 2003 में उन्हें राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया था, 2014 में उन्होंने लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के हुगली क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था.

आपको बता दें कि सिर्फ भाजपा के चन्दन मित्रा ही तृणमूल में शामिल नहीं हुए हैं, बल्कि कांग्रेस के भी 4 विधायक समर मुखर्जी , अबु ताहिर , सबीना यास्मीन और अखरूजमां ने ममता का दमन थम लिया है. अब इसमें सोचने वाली बात ये है, कि एक तरफ तो तृणमूल, महागठबंधन में कांग्रेस के साथ है और एक साथ चुनाव लड़ने का दावा भी कर रहे हैं, वहीँ दूसरी और कांग्रेस के विधायक अपनी पार्टी छोड़ तृणमूल का हाथ पकड़ रहे हैं, समझ नहीं आता कि जब ये सब साथ ही हैं तो इस दलबदली का क्या राज़ है 

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