पटना : महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सुबह करीब नौ बजे निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। कुछ दिन पहले ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी। वह अपने भाई के परिवार के साथ पटना के कुल्हाड़िया हाउस में रहते थे। देर रात उन्हें खून की उल्टियां होने पर अस्पताल में दोबारा भर्ती किया गया था। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। वशिष्ठ नारायण तकरीबन 40 साल से मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थे। उन्होंने कभी आइंस्टीन को चुनौती दी थी। उनके निधन से पूरे बिहार में शोक की लहर दौड़ गई है।
मूल रूप से भोजपुर के बसंतपुर के रहने वाले वशिष्ठ नारायण बचपन से ही होनहार थे। बताया जाता है कि पटना साइंस कॉलेज में बतौर छात्र गलत पढ़ाने पर वह अपने गणित के अध्यापक को टोक देते थे। कॉलेज के प्रिंसिपल को जब पता चला तो उनकी अलग से परीक्षा ली गई। जिसमें उन्होंने सारे अकादमिक रिकार्ड तोड़ दिए। पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन कैली की उन पर नजर पड़ी। कैली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और 1965 में वशिष्ठ नारायण को अपने साथ अमेरिका ले गए। 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी की और वाशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए।
वशिष्ठ नारायण ने कुछ समय तक नासा में भी काम किया लेकिन मन नहीं लगने पर 1971 में भारत लौट आए। बताया तो यह भी जाता है कि वशिष्ठ नारायण जब अमेरिका से लौटे तो अपने साथ 10 बक्से किताबें लाए थे। 1973 में उनकी शादी वंदना रानी सिंह से हो गई। उसके कुछ ही दिन बाद से वे असामान्य व्यवहार करने लगे थे। छोटी-छोटी बातों पर आपा खो देना, कमरा बंद कर दिन-दिनभर पढ़ते रहना, रात-रातभर जगना उनके व्यवहार में शामिल था। उनके इस व्यवहार से पत्नी वंदना भी जल्द परेशान हो गईं और उन्होंने तलाक ले लिया। बताया जाता है कि पत्नी का तलाक वशिष्ठ नारायण के लिए बड़ा झटका था। तब से वह कभी सामान्य नहीं हो सके। वर्षों तक उन्हें इलाज के लिए कांके (रांची) स्थित मानसिक आरोग्यशाला में भी भर्ती कराया गया था।