कोर्ट ने तत्कालीन स्पीकर के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका खारिज की
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के तत्कालीन स्पीकर के खिलाफ अयोग्य करार दिए गए विधायकों की याचिका खारिज कर दिया है। कोर्ट ने विधायकों को अयोग्य करार देने के स्पीकर के फैसले पर मुहर लगा दिया है लेकिन स्पीकर के फैसले के उस हिस्से को हटा दिया है जिसमें कहा गया है कि विधानसभा के कार्यकाल तक विधायक सुनाव नहीं लड़ सकते हैं। कोर्ट के इस आदेश से अयोग्य करार दिए गए विधायक उपचुनाव लड़ सकते हैं। कोर्ट ने पिछले 25 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि संवैधानिक जिम्मेदारी और नैतिकता सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए है। ये भी कहा कि अगर उपचुनाव में बागी विधायक जीतते हैं तो वो मंत्री भी बन सकते हैं और पब्लिक ऑफिस भी होल्ड कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को यह अधिकार नहीं है कि वो विधायकों को विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने तक अयोग्य करार दे। कोर्ट ने कहा कि संविधान में स्पीकर को अधिकार दिए गए हैं। स्पीकर अर्ध न्यायिक प्राधिकार है।
कोर्ट ने विधायकों को सीधे सुप्रीम कोर्ट आने के तरीके पर आपत्ति जताते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले हाईकोर्ट जाना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि कानून के बारे में भ्रम नहीं होना चाहिए। स्पीकर को केवल इस बात की जांच करनी चाहिए कि इस्तीफा स्वैच्छिक है या नहीं। अन्यथा वो इस्तीफा स्वीकार करने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने कहा कि इस्तीफा या अयोग्यता दोनों की स्थितियों में दसवीं अनुसूची के मुताबिक सीटें खाली होती हैं। धारा 71(1)(बी) हार्स ट्रेडिंग को रोकने के लिए है।