हजारों लोगों ने गंगा में नाव और बजड़े पर बैठकर इस अद्भुत नजारे को देखा
वाराणसी : बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में देव दीपावली पर्व पर मंगलवार की शाम उत्तरवाहिनी गंगा तट पर देवलोक सरीखा नजारा रहा। आदिकेशव घाट से लेकर सामने घाट के बीच लगभग आठ किमी की दूरी में गंगा के पथरीले 84 घाटों पर जब आतिशबाजी के बीच लाखों दीप जले तो ऐसा लगा कि जमीं पर सितारे उतर आये हों। इस अद्भभुत और आध्यात्मिक छटा के साक्षी यहां आये हुए देशी-विदेशी पर्यटक भी बने।
गंगा के पथरीले अर्धचन्द्राकार अस्सी से राजघाट तक फैले घाटों, भवनों के आर्कषक विद्युत झालरों से सजावट के बाद लाखों लाख हाथों ने शाम ढलते ही गंगा तट पर दिये जलाये तो यह अद्भुत नजारा देख लोगों को महसुस हुआ जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। गंगा के किनारे समानान्तर ज्योर्तिगंगा कल-कल करती बह रही हैं। पर्व पर प्राचीन दशाश्वमेध, राजेन्द्र प्रसाद घाट, पंचगंगा, राजघाट, खिड़कियाघाट और अस्सी घाट पर सर्वाधिक भीड़ देखी गयी। दशाश्वमेध घाट पर इण्डिया गेट की आकर्षक अनुकृति बनाकर अमर जवान ज्योति जलाई गई। 39 जीटीसी वाराणसी, एयरफोर्स सेलेक्शन बोर्ड वाराणसी की ओर से शहीदों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
उधर, प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति की अगुवाई में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां गंगा की अष्टधातु की 108 किलो की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार देशी विदेशी फूलों से किया गया। शाम को मां गंगा का 51 लीटर दूध से दुग्धाभिषेक करके 21 ब्राम्हणों ने गंगा की महाआरती की। इस दौरान 42 कन्याएं रिद्धि-सिद्धि के रूप में मां गंगा को चंवर डुलाती रही। यहां पुलिस के जांबाज शहीदों की याद में माह पर्यन्त जल रही आकाशदीप का समापन दीपदान के साथ किया गया। इस दौरान घाट पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में युवा गायक अमलेश शुक्ला और अर्चना म्हस्कर ने अपने सुर से गंगा के दरबार में हाजिरी लगाई।