Maharastra में राष्ट्रपति शासन, विपक्षी दल पहुंचे सुप्रीम कोर्ट के द्वार

नई दिल्ली : महाराष्ट्र में मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से की गई सिफारिश को मंजूर कर लिया तथा संविधान के अनुच्छेद-356 के अंतर्गत राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। महाराष्ट्र में अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी शासन-प्रशासन की बागडोर संभालेंगे। हालांकि विपक्षी दलों ने इस फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

महाराष्ट्र में हाल में संपन्न राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजे गत 24 अक्टूबर को आने के बावजूद लोकप्रिय सरकार का गठन नहीं हो पाया था। देवेन्द्र फडणवीस के पद से इस्तीफा देने के बाद कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे थे। राज्यपाल कोश्यारी ने आज दोपहर केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी थी। महाराष्ट्र राजभवन के अनुसार राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी इस बात से संतुष्ट थे कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कामकाज चलाने की स्थिति में नहीं थी इसलिए उन्होंने संविधान के अनुच्छेद-356 के अंतर्गत राष्ट्रपति शासन लगाने संबंधी अपनी रिपोर्ट भेजी है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी ऐसा ही बयान देते हुए कहा कि राज्यपाल का मत था कि राज्य में चुनाव प्रक्रिया पूरे हुए 15 दिन बीत गए हैं और कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। इसलिए राष्ट्रपति शासन एक बेहतर विकल्प है। राजनीतिक दलों को सरकार गठन के बारे में किसी सहमति पर पहुंचने के लिए अब पर्याप्त समय मिल गया है। आने वाले दिनों में राजनीतिक दल विश्वसनीय आकंड़ों के साथ राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने के लिए अपना दावा पेश करते हैं तो महाराष्ट्र में लोकप्रिय सरकार का गठन संभव है।

कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले की आलोचना करते हुए इसे संविधान विरोधी बताया है। इन दलों के अनुसार राज्यपाल ने संविधान के प्रावधानों और नियमों तथा सुप्रीम कोर्ट के एसआर बोम्मई फैसले को ध्यान में नहीं रखा। गैर भाजपा दलों को सरकार बनाने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन लागू करने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि संवैधानिक प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाई गई हैं। एसआर बोम्मई के निर्णय में व्यक्त संवैधानिक मानदंडों का इसमें गंभीर उल्लंघन किया गया है।

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया कि भाजपा राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने का उपयोग अनुचित तरीके से बहुमत जुटाने के लिए करेगी। उन्होंने इस फैसले को लोकतंत्र की हत्या करार दिया। राज्य में जिस समय राष्ट्रपति शासन आसन्न दिखाई दे रहा था उसी समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और अहमद पटेल सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेता मुंबई पहुंचे जहां उन्होंने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ सरकार गठन के बारे में मंत्रणा की।

 

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