मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने पर किया याद
काशी सुमेरूपीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रा नंद सरस्वती ने रविवार को बताया कि वर्ष 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान सरकार की अनुमति से अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास कार्यक्रम हुआ था। मंदिर के शिलान्यास के लिए जाते समय अशोक सिंघल की बातें अब लोगों के जेहन में कौंध रही हैं। उस समय प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पं. नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री थे। विश्व हिन्दू परिषद ने 09 नवम्बर को राम मंदिर के शिलान्यास और देश भर में शिलापूजन यात्राएं निकालने की घोषणा अशोक सिंघल की अगुवाई में की थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर गृहमंत्री बूटा सिंह ने 27 सितम्बर को लखनऊ में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के बंगले पर विश्व हिन्दू परिषद से इन यात्राओं के शांतिपूर्ण ढंग से निकालने के लिए हामी भरवाई थी।
उन्होंने बताया कि अशोक सिंघल की अगुवाई में गोरक्ष पीठ गोरखपुर के महंत अवैद्य नाथ और अन्य कार्यकर्ताओं ने विवादित ढाँचे से कुछ दूर शिलान्यास किया था। यह फोटो उसी समय की है। स्वामी नरेन्द्रानंद ने बताया कि सिंघल मजबूत इच्छा शक्ति के व्यक्ति थे। दिसम्बर 1992 में फिर कारसेवा का ऐलान हुआ तो लाल कृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी और अशोक सिंघल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने बताया कि अशोक सिंघल राम मंदिर निर्माण के लिए संकल्पित थे। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन को हिंदुओं के सम्मान से जोड़ने में खास भूमिका निभाई थी। अपने प्रयास से देश भर में राम मंदिर आंदोलन के लिए सनातनी समाज को एकजुट किया था। अशोक सिंघल जैसा व्यक्ति सदियों में कोई बिरला ही जन्म लेता है। अशोक सिंघल हमेशा कहते थे कि भारत की पहचान राम से और हिन्दू की पहचान राम से है। लम्बा अरसा बीतने के बाद भी उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया।