इस समय महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर लगातार गरमागरमी जारी है और सभी सीएम बनने के लिए बेताब हैं. ऐसे में इस समय तक शिवसेना 50-50 फार्मूले के तहत सरकार गठन को लेकर अडिग है तो भाजपा किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री पद छोड़ना नहीं चाहती. वहीं मुंबई पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शिवसेना के आरोपों पर कहा कि, ”विधायकों की खरीद फरोख्त का कोई सवाल ही नहीं है. अगर भाजपा और शिवसेना के बीच मध्यस्थता की जरूरत पड़ती है तो वह मैं कर सकता है.” इसी के साथ इस दौरान गडकरी ने ढाई-ढाई साल सीएम वाली बात से इनकार करते हुए कहा कि, ”ऐसा कोई वादा नहीं किया गया था.” वहीं अपनी बात को दोहराते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि, ‘महाराष्ट्र में सरकार गठन में संघ की कोई भूमिका नहीं है.’
आपको बता दें कि आज ही कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि, ‘महाराष्ट्र में पार्टी बदलने के लिए विधायकों को 25 करोड़ रुपये से लेकर 50 करोड़ रुपये तक देने की पेशकश की जा रही है. कांग्रेस विधायकों को भी इस तरह के प्रस्तावों के साथ फोन पर संपर्क किया गया है.’ इसी के साथ निवर्तमान विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि, ‘शिवसेना ने दावा किया है कि उनके एक विधायक को पार्टी बदलने के लिए 50 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी.’ लेकिन भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि वह दूसरी पार्टी के विधायकों को लुभाने के प्रयास कर रही है. हाल ही में भाजपा-शिवसेना के बीच जारी खींचतान के बीच सरकार गठन की कमान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने पास ले ली है.
ऐसे में शिवसेना को मनाने के लिए भाजपा नेतृत्व परिवर्तन का विकल्प चुन सकती है ऐसा कहा जा रहा है और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी गठबंधन न तोड़ने की बात कहकर सकारात्मक संकेत दे दिया है. अगर सूत्रों की माने तो खींचतान खत्म करने के लिए संघ और भाजपा नेतृत्व ने गडकरी को उतारा है और इसके बाद दोनों दलों के बीच पहली बार विश्वस्त मध्यस्थों के जरिये बातचीत शुरू हो गई है. अब ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व परिवर्तन के साथ कुछ अहम मंत्रालय शिवसेना को देने का प्रस्ताव दे सकता है और राज्य सरकार की कमान गडकरी के करीबी सुधीर मुनगंटीवार को दे सकते हैं.