चीन से कारोबार समेट रही मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की रुचि भारत में तेजी से बढ़ रही है। मोबाइल फोन कंपनियों के बाद अब इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने भी भारत में इकाई लगाने की इच्छा दिखाना शुरू कर दिया है। अमेरिका की दिग्गज कंपनी फ्लैक्स ने हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद से मुलाकात कर भारत में मैन्युफैक्चरिंग इकाई लगाने की मंशा जतायी है।
सूत्रों के मुताबिक फ्लैक्स भारत में 50 करोड़ डॉलर (करीब 3,500 करोड़ रुपये) के निवेश के साथ शुरुआत करना चाहती है। कंपनी ने यहां से दुनिया के अन्य बाजारों में उत्पादों के निर्यात का भी भरोसा दिया है। इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री से फ्लैक्स के प्रेसिडेंट रिचर्ड हॉपकिंस ने बृहस्पतिवार शाम को मुलाकात की।
फ्लैक्स अपने कारोबार को चीन से समेट अन्य देशों में स्थापित करने की संभावनाएं तलाश कर रही है। कंपनी भारत को इस दिशा में बेहतर विकल्प मान रही है। हाल ही में कॉरपोरेट टैक्स की दर में कमी और इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित नीतियों को लेकर कंपनी प्रबंधन काफी उत्साहित है।
सूत्र बताते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक्स व आइटी मंत्री प्रसाद भी अमेरिका समेत विश्व की बड़ी इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को भारत में लाने की दिशा में प्रयासों में तेजी आई है। फ्लैक्स भी भारत को विदेशी बाजारों के लिए अपने उत्पादों के हब के तौर पर देख रही है। सूत्रों का कहना है कि कंपनी भारत से एक अरब डॉलर (करीब 7,000 करोड़ रुपये) मूल्य के उत्पादों के सालाना निर्यात की संभावना देख रही है।
मंत्रालय के सूत्रों का मानना है कि अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी एपल के बाद यह दूसरी महत्वपूर्ण अमेरिकी कंपनी है जिसने अपना कारोबार चीन से भारत शिफ्ट करने में रुचि दिखाई है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस तरह की कंपनियों के भारत आने से देश को इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग में वैश्विक केंद्र के रूप में मान्यता मिल सकती है।
फ्लैक्स वर्ष 2001 से ही भारत में कारोबार कर रही है और चेन्नई, बेंगलुरु, पुणो, हैदराबाद, गुरुग्राम और विशाखापत्तनम में इसकी मौजूदगी है। भारत में कंपनी करीब 25,000 लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रही है। भारत के अतिरिक्त कंपनी दुनिया के 30 देशों में मौजूद है।
गौरतलब है कि पिछले तीन-चार वर्षो में इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में भारत में कई कंपनियों ने रुचि दिखाई है। खासतौर पर मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में चीन की कई कंपनियों ने अपनी उत्पादन इकाई भारत में स्थापित की है। इसके अलावा एसेसरीज उत्पादन इकाइयों की संख्या भी देश में तेजी से बढ़ी है।