कोलकाता : पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से राज्यपाल जगदीप धनखड़ को केंद्रीय सुरक्षा दिये जाने पर पुनर्विचार करने की मांग की है। बुधवार को राज्य गृह विभाग के सूत्रों बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने एक चिट्ठी केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखी है। इसमें कहा गया है कि राज्यपाल को सुरक्षा देने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है, क्योंकि वह राज्य के सांवैधानिक प्रमुख हैं। राज्य सरकार ने उन्हें पहले से जेड कैटेगरी की सुरक्षा दे रखी है। बावजूद इसके केंद्र सरकार ने जेड प्लस की सुरक्षा देने और उनकी सुरक्षा में सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती का निर्णय लिया है। यह सबकुछ राज्य सरकार से सलाह लिए बगैर किया गया है। ऐसा नहीं होना चाहिए। केंद्र सरकार को उन्हें मिलने वाली सुरक्षा के बारे में पुनर्विचार करना चाहिए।
हालांकि राजभवन की ओर से बताया गया है कि 19 सितंबर को जब केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को जादवपुर विश्वविद्यालय में वामपंथी छात्रों ने घेर लिया था उस समय राज्यपाल मौके पर जा पहुंचे थे। उस दिन राज्य सरकार ने उनकी सुरक्षा में भारी कोताही बरती थी। राज्यपाल की गाड़ी पर हमले हुए और उन्हें भी घेर लिया गया जबकि पुलिसकर्मियों की तैनाती बिल्कुल नहीं थी। उसी दिन राजभवन की ओर से विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट कर दिया गया था कि राज्यपाल की सुरक्षा में भारी कोताही बरती गई है और राज्य सरकार को सुरक्षा सुनिश्चित करने पर दृढ़ता से विचार करना चाहिए था लेकिन राज्य सरकार ने कोई फैसला नहीं किया। इसके बाद उन्हें सीआरपीएफ की सुरक्षा देने का निर्णय लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि 30 जुलाई को राज्यपाल ने शपथ ली थी जिसके बाद से विभिन्न मुद्दों पर पश्चिम बंगाल सरकार के साथ उनका टकराव होता जा रहा है। इस बीच गत 15 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने यह निर्देशिका जारी की थी, जिसमें राज्यपाल को सीआरपीएफ की सुरक्षा देकर उनकी सुरक्षा को जेड प्लस श्रेणी का करने का निर्देश दे दिया गया है। उसमें भी कोलकाता पुलिस के सशस्त्र जवान तैनात रहेंगे इसलिए कोलकाता पुलिस के साथ मिलकर फुलप्रूफ सिक्योरिटी प्लान बनने के बाद सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती हो सकेगी। हालांकि कोलकाता पुलिस ने अभी तक सीआरपीएफ के जवानों को इसके लिए आधिकारिक सहमति नहीं दी है जिसके कारण राज्यपाल की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो पा रही है।