गुट निरपेक्ष देशों के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार भी शिरकत नहीं करेंगे. ये लगातार दूसरी बार है जब पीएम मोदी दुनिया के विकासशील देशों के नेताओं की इस जमघट में शामिल नहीं हो रहे हैं. बता दें कि भारत गुट निरपेक्ष आंदोलन का संस्थापक सदस्य है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू इस बार गुट निरपेक्ष सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. गुट निरपेक्ष सम्मेलन अजरबैजान के बाकू में 25-26 अक्टूबर तक आयोजित किया जाएगा. गुट निरपेक्ष देशों के शिखर सम्मेलन में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू भारत की ओर से संबोधन पेश करेंगे. उपराष्ट्रपति गुट निरपेक्ष देशों के दूसरे सदस्यों के साथ बैठक भी करेंगे. 2016 में भी पीएम नरेंद्र मोदी वेनेजुएला में हुए इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे. तब इस सम्मेलन में भारत के तत्कालीन उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी शामिल हुए थे.
1947 में जब भारत को आजादी मिली तब तक द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हो चुका था. इस युद्ध के खत्म होने के 10 साल के अंदर ही दुनिया में दो सुपर पावर का उदय हुआ. ये सुपर पावर थे अमेरिका और रूस. भारत के पास विकल्प था कि वो इन दोनों देशों में किसी एक के खेमें में शामिल हो जाए.
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में देश ने फैसला किया कि वो इन दोनों में से किसी गुट का हिस्सा नहीं बनेगा. और इनसे इतर गुट निरपेक्षता की नीति अपनाएगा. यानी कि भारत न तो अमेरिका के पक्ष में रहेगा और न ही रूस के पक्ष में बल्कि इनसे अलग एक और गुट का निर्माण करेगा जो दुनिया में शांति कायम करने की कोशिश करेगा. नेहरू के इसी फलसफे के साथ गुट निरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत हुई. 1961 में युगोस्लाविया के बेलग्रेड शहर में गुट निरपेक्ष देशों का पहला सम्मेलन हुआ.