ई-बुक्स, सेनेटरी नैपकिन और हैंडीक्राफ्ट उत्पाद सस्ते हो सकते हैं। जीएसटी काउंसिल 21 जुलाई को होने वाली बैठक में इन वस्तुओं पर जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाने पर विचार किया जा सकता है। काउंसिल होटलों के घोषित रूम रेंट की जगह वास्तविक रेंट पर जीएसटी लगाने का फैसला भी कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो होटल में ठहरना भी सस्ता हो जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में होने वाली जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में जीएसटी कानूनों में संशोधन के मसौदे और सिंगल रिटर्न के फॉरमेट पर भी चर्चा होने के आसार हैं। सूत्रों ने कहा कि काउंसिल की बैठक का एजेंडा तैयार कर राज्यों को भेजा जा रहा है।
सेवाओं में एक अन्य महत्वपूर्ण आयटम होटलों के रूम रेट पर जीएसटी की गणना के संबंध में है। फिलहाल जीएसटी की गणना होटल के घोषित रेंट के आधार पर की जाती है। माना जा रहा है कि काउंसिल घोषित रेंट की जगह वास्तविक रेंट पर ही जीएसटी की गणना का फॉर्मूला स्वीकार कर सकती है। ऐसा होने पर उन होटलों को लाभ होगा जो शिमला और मनाली जैसे टूरिस्ट स्थानों पर हैं और जो सीजन के अनुसार ग्राहकों से किराया लेते हैं।
फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशंस ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट गरिश ओबेराय का कहना है कि जीएसटी के तहत होटल के वास्तविक रेंट की जगह स्लैब के आधार पर टैक्स चार्ज किया जाता है। उदाहरण के लिए अगर किसी होटल का टैरिफ 10,000 रुपये है तो यह 28 प्रतिशत के स्लैब में आएगा। आज की स्थिति में अगर यही रूम ग्राहक को 5000 रुपये रेंट में दिया जाता है तो ग्राहक को 28 प्रतिशत ही जीएसटी देना होता है। जबकि कायदे से इस पर 18 प्रतिशत टैक्स लगना चाहिए।
ओबेराय ने कहा कि एफएचआरएआई ने यह मुद्दा कई बार सरकार के पास उठाया है। सूत्रों ने कहा कि काउंसिल कई अन्य उत्पादों पर भी जीएसटी की दरें तर्कसंगत बनाने का निर्णय ले सकती है। ओडिशा ने इस संबंध में काउंसिल के समक्ष आग्रह किया है।
चीनी पर अपकर की चर्चा संभव चीनी पर सेस लगाने तथा एथनॉल पर जीएसटी की दर घटाने पर विचार कर रहे मंत्री समूह की रिपोर्ट पर भी बैठक में चर्चा हो सकती है। साथ ही डिजिटल लेनदेन पर जीएसटी में दो फीसदी की छूट देने पर विचार कर रहे जीओएम की रिपोर्ट पर भी बैठक में चर्चा होगी। इसके अलावा लॉटरी और आइजीएसटी टैक्स पर बने दो अलग-अलग टास्क फोर्स की रिपोर्ट भी काउंसिल के एजेंडा में शामिल कर चर्चा की जा सकती है।
दरें तर्कसंगत बनाने की कोशिश
सूत्रों ने कहा कि काउंसिल की बैठक में कई उत्पादों और सेवाओं पर जीएसटी की दरें तर्कसंगत बनाने पर चर्चा की जाएगी। जिन आयटमों पर जीएसटी की दरें कम हो सकती हैं उनमें ई-बुक्स और सेनेटरी नैपकिन प्रमुख हैं। ई-बुक्स को ऑनलाइन सेवा मानते हुए फिलहाल 18 प्रतिशत जीएसटी की श्रेणी में रखा गया है। माना जा रहा है कि सरकार डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के इरादे से ई-बुक्स को भी किताबों की तरह शून्य रेट या पांच प्रतिशत के स्लैब में रख सकती है।
इसी तरह सेनेटरी नैपकिन पर मौजूदा 12 प्रतिशत जीएसटी को घटाकर शून्य किया जा सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता लंबे अरसे से इसकी मांग कर रहे हैं। हालांकि ऐसा होने पर शून्य दर वाली श्रेणी के अन्य उत्पादों के समान सेनेटरी नैपकिन बनाने वाली कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा का लाभ शायद न मिले।