धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिनकी पूजा सबसे आसान हैं, वो देवा धी देव महादेव हैं। जितने सरल शिव हैं, उतना ही विकट उनका स्वरूप है, जिसका कोई मेल ही नहीं है।। गले में सर्प, कानों में बिच्छू के कुंडल, तन पर वाघंबर, सिर पर त्रिनेत्र, हाथों में डमरू, त्रिशूल और वाहन नंदी। भगवान शिव के इस अद्भुत स्वरूप से हमें कहीं बातें सिखने को मिलती हैं।
इनसे हमें पता चलता हैं कि हमारे आसपास कितने ही बुरे लोग क्यों न हों, अगर आप सही हैं तो वे आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। कपड़े तन ढंकने के लिए होते हैं और हमेशा ऐसे वस्त्र धारण करने चाहिए जो सुलभ हों। महंगे कपड़े आपको आम लोगों से दूर कर सकते हैं।
यह नेत्र ज्ञानेंद्री का प्रतीक है। हमें हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए और अपने आसपास हो रहे न्याय-अन्याय पर नजर रखनी चाहिए। हाथ में डमरू हमारी खुद की वाणी है। शिव हमेशा डमरू नहीं बजाते, समय आने पर ही उससे ध्वनि निकलती है। यह सिखाती है कि हमें समय आने पर परिस्थिति को समझ कर ही बोलना चाहिए।
बैल को धर्म का प्रतीक माना गया है। शिव का वाहन ही धर्म है, यह हमें सिखाता है कि हमारा वाहन यानी जीने का सिद्धांत धर्म होना चाहिए, अधर्म नहीं। धर्म से हमें सफलता और और शांति मिलेगी।