Seminar : प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ है भारत : सीएम योगी

  • बीएचयू में प्राचीन गुप्त साम्राज्य के शासकों पर आयोजित संगोष्ठी का किया उद्घाटन
  • चंद्रगुप्त और स्कंदगुप्त की परम्परा को पीएम मोदी और अमित शाह ने आगे बढ़ाया
  • कहा- दो हजार वर्षों से भारत के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया

वाराणसी : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि वर्तमान भारत अंग्रेजों की देन नहीं है, बल्कि प्राचीन काल से भारत सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ है। देश में मौजूद तीर्थ सिर्फ उपासना के केंद्र नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय एकात्मक के भी केंद्र हैं। उन्होंने कहा कि जो समाज अपने अतीत के गौरवशाली क्षणों को भूल जाता है, उसके सामने त्रिशंकु जैसी स्थिति उतपन्न हो जाती है। वह विदेशी आक्रांताओं और विदेशी वस्तुओं में ही अपने भविष्य को टटोलने की कोशिश करता है। मुख्यमंत्री योगी गुरुवार को बीएचयू में आयोजित प्राचीन गुप्त साम्राज्य के शासकों पर केंद्रित द्विदिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विगत 2 हजार वर्षों से भारत के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है। भारत के लोग अपने वास्तविक इतिहास को न जान पाए इसलिए साजिश के तहत ऐसा किया गया है। चंद्रगुप्त विक्रमादित्य से लेकर स्कंदगुप्त तक भारत की गौरवशाली परम्परा रही है। इस कालखंड में भारत में सामरिक, आर्थिक, राजनीतिक, ज्ञान-विज्ञान के हर क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हुआ था।

योगी ने कहा कि कश्मीर में धारा 370 समाप्त होना अपने आप में देश के अंदर आजादी के बाद का सबसे साहसिक एवं ऐतिहासिक निर्णय है। यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि 1950 में भारत ने अपना संविधान अंगीकार किया था, 1952 में यह अनुच्छेद जबरन संविधान में जोड़ा गया था। सरदार पटेल ने कहा का था इस अनुच्छेद को वही व्यक्ति हटा पाएगा, जिसके कलेजे में दम होगा। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने सरदार पटेल की उस उक्ति को सार्थक किया है। चंद्रगुप्त विक्रमादित्य और स्कंदगुप्त की परम्परा को आगे बढ़ाने का कार्य प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने किया है।

वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कब तक हम वामपंथियों को गाली देंगे और अंग्रेज इतिहासकारों को दोष देंगे? हमें अंग्रेज, वामपंथी और मुगलकालीन इतिहासकारों को दोष देना बंद कर इतिहास लेखन में अपनी मेहनत करने की दिशा को केंद्रित करना होगा। अपने इतिहास के पुनर्लेखन की जिम्मेदारी देश के विद्वानों और जनता की है। क्या हमारे देश के इतिहासकार 200 व्यक्तित्व और 25 साम्राज्य को इतिहास का हिस्सा नहीं बना सकते हैं? हम कब तक दूसरों को कोसते रहेंगे? अमित शाह ने कहा कि 1857 क्रांति को वीर सावरकर ने पहला स्वतंत्रता संग्राम का नाम न दिया होता, तो आज हम उसे विपल्व के नाम से जानते। सावरकर के कारण ही यह क्रांति इतिहास का हिस्सा बन पाई। नहीं तो हम अंग्रेजों द्वारा लिखे गए इतिहास को ही सत्य मानते। उन्होंने कहा कि चंद्रगुप्त विक्रमादित्य को इतिहास में बहुत प्रसिद्धि मिली है, लेकिन सम्राट स्कंदगुप्त के साथ इतिहास में अन्याय हुआ है। उनके पराक्रम की जितनी प्रसंशा होनी चाहिए थी, उतनी शायद नहीं हुई है। इसी कालखंड में देश में शाकुन्तलम, पंचतंत्र जैसे अनेक उत्कृष्ट साहित्यों की रचना हुई थी।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com