स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने एक लाख से कम बैलेंस वाले बचत खातों पर ब्याज दरों में कटौती की है। बैंक पहले 3.50 फीसद की दर से ब्याज दे रहा था, जिसे अब 3.25 फीसद कर दिया गया है. ये नई दरें पहली नवंबर से लागू होंगी। ग्राहक हमेशा अधिक ब्याज दर देने वाले बैंक में अपना बचत खाता खुलवाना पसंद करते हैं। बैंक के इस कदम से ग्राहकों को झटका लगा है। सो सकता है एसबीआई के इस कदम से ग्राहक ऐसे बैंकों की ओर रुख करें जो अधिक ब्याज देते हैं। बचत खाते पर ज्यादा ब्याज दर पाने के लिए ग्राहक सार्वजनिक क्षेत्र के अलावा प्राइवेट सेक्टर बैंक की शिफ्ट हो सकते हैं। ज्यादा ब्याज दर पाने के लिए बैंक के चयन से म्युचुअल फंडों में एसआईपी से निवेश करने वाले ग्राहकों को भी फायदा होगा। इससे उनका रिटर्न बढ़कर मिलेगा।
अगर ग्राहक ज्यादा ब्याज के लिए बैंक बदलने की सोच रहे हैं तो उन्हें हालिया पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ओपरेटिव बैंक संकट को भी ध्यान में रखना होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पीएमसी बैंक संकट को देखते हुए ग्राहक को-ओपरेटिव बैंकों और स्मॉल फाइनेंस बैंकों से बचें। मालूम हो कि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के तहत कोई भी बैंक 1 लाख तक के जमा की ही गारंटी लेता है। ब्याज के लिए निजी सेक्टर के बैंकों की बात करें तो इसमें आईडीएफसी बैंक एक लाख से कम की जमा वाले बचत खातों पर छह फीसद की दर से ब्याज देता है। वहीं आरबीएल बैंक का ब्याज पांच फीसद है।
यदि ग्राहक ब्याज के लिए बैंक बदलना चाहते हैं तो उन्हें अन्य बैंकों की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं और विभिन्न शुल्क की भी तुलना कर लेनी चाहिए। ग्राहकों के लिए ऐसे बैंकों में अपना खाता खुलवाना सही रहेगा जहां न्यूनतम जमा राशि की सीमा कम रखी गई हो और मुफ्त में एटीएम से निकासी अधिक हो सके। इसके अलावा बैंक का ब्रांच भी नजदीक हो ताकि ग्राहक आसानी से वहां पहुंच सकें।
इस महीने की शुरुआत में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती की है। जिसके बाद नई दर 5.15 फीसद पर आ गई है। केन्द्रीय बैंक की ओर से इस बार यह पांचवी कटौती है। इस साल में अब तक आरबीआई ने ब्याज दर में 135 बेसिस पॉइंट की कटौती की है। इस वर्ष मई में एसबीआई ने अपने बचत जमा दर को आरबीआई के रेपो रेट से जोड़ दिया है।