जम्मू- कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला की बहन सुरैया और बेटी साफिया की कल रात रिहाई हुई है। जम्मू- कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला की बहन सुरैया अब्दुल्ला और बेटी साफिया अब्दुल्ला सहित 13 महिलाओं को अदालत ने बुधवार को जमानत पर रिहा कर दिया था। अब्दुल्ला की बहन सुरैया और बेटी साफिया को मंगलवार को लाल चौक से सटे प्रैस एन्क्लेव में निषेधाज्ञा का उल्लंघन करके रैली निकालने पर हिरासत में लिया गया था। यह सभी महिलाएं अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के खिलाफ और जेल में बंद सभी राजनेताओं की रिहाई की मांग करते हुए रैली निकालने की कोशिश कर रही थीं।
जानकारी हो कि उन्होंने सुरक्षाकर्मियों के रैली निकालने से रोके जाने के बाद भी रैली निकाली थी। अधिकारियों ने बताया कि डॉ. अब्दुल्ला की बहन सुरैया और बेटी साफिया सहित 13 महिलाओं ने रिहाई के लिए 10-10 हजार रुपये के निजी मुचलके और 40 हजार रुपये का जमानती बांड भरे हैं, जिसके बाद उन्हें रिहा किया गया है। इन सभी को क्रिमिनल प्रोसिजर की धारा 107 के तहत हिरासत में लिया गया था। सभी ने कानून व्यवस्था और शांति बनाए रखने में सहयोग का आश्वासन दिया, जिसके बाद उन्हें रिहा किया गया। मंगलवार को सभी महिलाओं का मेडिकल करवाने के बाद पुलिस उन्हें सेंट्रल जेल ले गई थी। बुधवार को उन्हें चीफ ज्यूडिशियल मेजिस्ट्रेट श्रीनगर की अदालत में लाया गया, जहां शाम छह बजे संबंधित अधिकारियों ने आवश्यक औपचारकिताओं को पूरा करने के बाद उन्हें रिहा किया।
जानकारी हो कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कल बुधवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला को नजरबंद किया गया है। वहीं, उनकी बेटी साफिया को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के विरोध में फारूक अब्दुल्ला की बहन और उनकी बेटी समेत एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं को पुलिस ने एहतियातन हिरासत में लिया था। वहीं दूसरी ओर पुलिस ने कल (बुधवार) को श्रीनगर शहर के डाउनटाउन में कानून और व्यवस्था में गड़बड़ी करने वाले मुख्य आरोपी हयात अहमद भट को गिरफ्तार कर लिया था।
जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर में पाबंदियां लगने के बाद लालचौक में लगभग 72 दिन बाद यह पहला प्रदर्शन था। प्रदर्शनकारी महिलाओं में फारूक अब्दुल्ला की बहन सुरैया अब्दुल्ला, डॉ. फारूक अब्दुल्ला की बेटी साफिया अब्दुल्ला और जम्मू- कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बशीर अहमद खान की पत्नी हव्वा बशीर शामिल थीं। सभी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को रद करने, राज्य में अनुच्छेद-370 बहाल करने और जेलों में बंद सियासी हस्तियों की तत्काल रिहाई की मांग कर रही थीं।
मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शन कर रही ये महिलाएं ने अपने हाथों और कंधों पर काली पट्टियां बांध रखी थीं और प्लेकार्ड उठा रखे थे। प्रेस एन्क्लेव से यह महिलाएं नारेबाजी करते हुए लाल चौक स्थित घंटाघर के लिए रवाना हुई थीं। वहां पहले से ही मौजूदा महिला पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों के एक दस्ते ने उन्हें प्रेस एन्क्लेव के बाहर रोक लिया, इसके बाद महिलाओं ने वहीं धरने पर बैठने की कोशिश की। हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें इसकी भी अनुमति नहीं दी