पाकिस्तान में एक कहावत पुरानी है कि अगर आपको सत्ता में आना या रहना है तो सिर पर ‘अल्लाह-आर्मी और अमेरिका’ का वरदहस्त जरूरी है. संकट में घिरे पाकिस्तान में आजकल ये तीनों फैक्टर क्रिकेटर से राजनेता और फिर प्रधानमंत्री बने इमरान खान के खिलाफ जाते दिख रहे हैं. अर्थव्यवस्था से लेकर विदेश नीति के मोर्चे पर इमरान खान चौतरफा चित हैं तो सेना प्रमुख बाजवा पैरलल सरकार चलाकर ये संकेत दे चुके हैं कि सैन्य तख्तापलट की बस औपचारिकता भर बाकी है. तो वहीं अमेरिका भी चीन के प्रति पाकिस्तानी झुकाव के चलते कोई खुश नहीं है और पिछले कुछ सालों में तमाम तरह के बैन लगा चुका है. लेकिन इन सबके बीच इमरान सरकार पर सबसे बड़ी मार पड़ी है ‘मौलाना फैक्टर’ की.
हम बात कर रहे हैं मौलाना फजलुर रहमान की. 66 साल के मौलाना ने इसी महीने इस्लामाबाद अर्थव्यवस्था से लेकर विदेश नीति के मोर्चे पर इमरान खान चौतरफा चित्त हैं मौलाना फजलुर रहमान ने आजादी मार्च का ऐलान कर दिया है. और तबतक जारी रखने का ऐलान किया है जबतक इमरान खान सरकार को उखाड़ नहीं फेंकते. मौलाना के इस आजादी मार्च को पीएमएल-एन, पीपीपी, मुस्लिम लीग-नून समेत तमाम दलों का समर्थन मिल रहा है. क्योंकि महंगाई से त्रस्त पाकिस्तान की जनता में इमरान खान को लेकर जारी असंतोष को भुनाने का बड़ा मौका इसमें दिख रहा है.