मोदी सरकार की पारदर्शिता नीति के चलते आरटीआई की जरूरत घटी : अमित शाह

नई दिल्ली : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि दुनिया के तमाम देशों के मुकाबले भारत निचले स्तर तक सूचना तंत्र की स्थापना करने में सफल हुआ है। मोदी सरकार ने सूचनाओं को सार्वजनिक पटल पर रखने के लिए कई कदम उठाए हैं ताकि लोगों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत आवेदन करने की जरूरत ही न पड़े। अमित शाह ने विज्ञान भवन में आयोजित केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 14वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि गत 14 वर्षों में आरटीआई एक्ट के कारण जनता और प्रशासन के बीच की खाई को पाटने में बहुत मदद मिली है और जनता का प्रशासन और व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार का जब कानून बना तब ढेर सारी आशंकाएं व्यक्त की जाती थीं। इसके दुरुपयोग की आशंका व्यक्त की गई लेकिन आज हम कह सकते हैं कि दुरुपयोग बहुत कम हुआ है और सदुपयोग बहुत ज्यादा।

गृहमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने डैश बोर्ड के माध्यम से एक नए पारदर्शी युग की शुरुआत की है। सौभाग्य योजना के तहत लोग डैशबोर्ड में ये देख सकते हैं कि उनके घर में बिजली कब लगने वाली है। स्वच्छ भारत के तहत कितने शौचालय बने इसके लिए आरटीआई की जरूरत नहीं है, डैशबोर्ड में सरपंच देख सकता है उसके गांव में कितने शौचालय कब तक बनने वाले हैं। दुनियाभर की सरकारें सूचना के अधिकार का कानून बना के रुक गई लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। भारत विश्व में प्रथम देश है जो निचले स्तर तक एक जवाबदेह सूचना तंत्र की रचना करने में सफल हुआ है। केंद्रीय सूचना आयोग से लेकर हर राज्य में सूचना आयोग की स्थापना की गई है। लगभग पांच लाख से ज्यादा सूचना अधिकारी-कर्मचारी आरटीआई एक्ट का निर्वहन करने में योगदान दे रहे हैं।

अमित शाह ने कहा कि केदारनाथ धाम के नए स्वरूप का निर्माण हो रहा है। वहां घाटी में ऑल वेदर रोड बन रही है। आपको आश्चर्य लगेगा लेकिन वहां की पूरी निगरानी ड्रोन के माध्यम से ऑनलाइन हो रही है। स्थिति ऐसी बने कि लोगों को आरटीआई लगाने की जरूरत ही न पड़े, बल्कि सरकार खुद सामने आकर सूचनाएं दे, ऐसी व्यवस्था हो। इस मौके पर प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह, मुख्य सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव, सूचना आयुक्त विमल जुल्का और कार्मिक विभाग के सचिव सी. चंद्रमौली भी मौजूद रहे।

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