रायपुर : छत्तीसगढ़ में अधिकारियों द्वारा मनमाने पूर्वक लिए जा रहे निर्णयों को लेकर इस पर लगाम कसने में कांग्रेस की भूपेश सरकार भी नकारा साबित हो रही है। ताजा मामला पशुधन विकास विभाग का है। जहां प्रभारी संयुक्त संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं का अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने के बावजूद उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग में स्थानांतरित किया गया है। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार उन्हें महत्वपूर्ण पद पर नवाजा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि प्रभारी संयुक्त संचालक डॉ अंजना नायडू अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रही है। इस प्रमाण पत्र को फर्जी बताए जाते हुए 24 जुलाई वर्ष 2008 को अनुसूचित जनजाति आयोग में शिकायत की गई थी। इनका यह प्रमाण पत्र, क्षेत्र संयोजक आदिम जाति कल्याण, अंबिकापुर द्वारा 11 अगस्त 1986 एवं अतिरिक्त तहसीलदार बिलासपुर द्वारा 24 सितंबर 1993 को जारी किया गया था।
शिकायत मिलने पर इस प्रमाण पत्र की जांच हेतुजाति प्रमाण पत्र उच्च स्तरीय छानबीन समिति द्वारा मामला, समिति के विजिलेंस सेल को 2 अगस्त 2008 में सौंपा गया। विजिलेंस सेल के उप पुलिस अधीक्षक ने समिति को 21 दिसंबर 2012 को अपना जांच प्रतिवेदन सौंपा। जांच प्रतिवेदन में पाया गया कि अंजना नायडू के पिता एवं पूर्वजों की जाति तैलंग पाई गई है। अनुसूचित जनजाति मन्नेवार के संबंध में इनके पिता या पूर्वज का वर्ष 1950 के पहले का कोई भी अभिप्रमाणित अभिलेख उपलब्ध नहीं कराया गया। ऐसा कोई भी दस्तावेज नहीं मिला जिसमें उनकी जाति मन्नेवार अनुसूचित जनजाति अंकित हो। इस बारे में 20 जून 2013 को जांच प्रतिवेदन के प्रमाणित प्रति के साथ कारण बताओ सूचना पत्र डॉ अंजना नायडू को भेजा गया। डॉ अंजना नायडू द्वारा अपनी जाति प्रमाण पत्र के समर्थन में कोई भी वांछित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया।