महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के होने में अब करीब तीन हफ्ते बचे हैं। सभी दलों ने अपने प्रत्याशी उतारने शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में बीजेपी ने भी अपने उम्मीदवारों का ऐलान करना शुरू कर दिया है। इस ऐलान के साथ ही पार्टी में बगावत भी शुरू होने लगी है। टिकट बंटवारे के बाद भाजपा को अपने नाराज और बागी नेताओं से निपटना सबसे बड़ी चुनौती है। मंगलवार को पार्टी की पहली सूची में एकनाथ खडसे, विनोद तावड़े, चंद्रशेखर बावनकुले, प्रकाश मेहता, तारा सिंह जैसे नाम न होने और कांग्रेस-एनसीपी से आए दर्जन भर नेताओं को टिकट मिलने से कई भाजपाई निराश और नाराज हैं। मुंबई से सटे कल्याण में बगावत भी हो गई है।
राज्य में भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शुमार एकनाथ खडसे ने अपना नाम पहली सूची में न होने पर भी मंगलवार को जलगांव की मुक्तानगर सीट से नामांकन पत्र भर दिया। उन्होंने साफ कर दिया कि पार्टी टिकट नहीं देती तो वह निर्दलीय खड़े हो सकते हैं। चार अक्तूबर नामांकन की आखिरी तारीख है। सात अक्तूबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। ऐसे में आने वाले तीन दिन में महाराष्ट्र में बगावत और रूठने-मनाने के कई ड्रामे नजर आ सकते हैं।
बीजेपी ने अपनी पहली 125 उम्मीदवारों की सूची में कांग्रेस-एनसीपी से आए 12 नेताओं को टिकट दिए हैं। बुधवार को पार्टी के राज्य अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के मुंबई और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के घर के सामने टिकट न मिलने से नाराज और आने वाली सूची में टिकटों के इच्छुक नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ लग गई। मुंबई से सटे कल्याण (पश्चिम) में छह भाजपा पार्षदों ने इस्तीफा दे दिया। ये पार्षद भाजपा विधायक नरेंद्र पवार के नजदीकी हैं। भाजपा ने अपनी यह सीट बंटवारे में शिवसेना को दे दी है।