लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आजमगढ़ में होने वाली रैली के पहले यूपी में भाजपा के आसार अच्छे नजर नहीं आ रहे हैं। क्षेत्रीय स्तर पर कार्यकर्ताओं की गुटबाजी तथा आपसी कलह ने मुश्किलें बढ़ा दी है। कार्यकर्ता जातीय स्तर पर गुटबाजी में बंट गए हैं। ज्यादातर कार्यकर्ताओं के नाराज होकर बैठ जाने के बाद अब सरकार अपने स्तर पर भीड़ जुटाने के लिए खजाना का मुंह खोल दिया है। सरकारी सहयोग से भीड़ जुटाने की कवायद की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि लखनऊ के कोटे से संगठन में महामंत्री तथा एमएलसी बनने के बाद विजय बहादुर पाठक के आजमगढ़ में अपनी ताकत बढ़ाने के प्रयास से गुटबाजी सतह पर आ गई है। सुनील बंसल से नजदीकी के चलते विजय बहादुर पाठक की हनक आजमगढ़ में सिर चढ़कर बोल रहा है, जो दूसरे गुट को रास नहीं आ रहा है।
भूमिहार लाबी विजय बहादुर पाठक से बुरी तरह नाराज है। रही सही कसर उपेंद्र शुक्ल पूरी कर दे रहे हैं। मोदी की रैली का जिम्मा उपेंद्र शुक्ल के कंधों पर है, लिहाजा वह भी अपने लोगों को महत्व दे रहे हैं, जिससे दूसरा गुट बुरी तरह नाराज होकर घर बैठ गया है। ये वही उपेंद्र शुक्ल हैं, जिन्हें भाजपा ने उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया था। इनकी वजह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अजेय गढ़ में भी विपक्ष ने सेंध मार दिया। गुटबाजी का आलम यह है कि आजमगढ़ से ही ताल्लुक रखने वाले पूर्व प्रदेश प्रवक्ता आईपी सिंह भी ट्विट के जरिए संगठन और गुटबाजी पर हल्ला बोल रहे हैं। मोदी की रैली के पहले हालात ऐसे बन गये हैं कि गुटों में मारपीट होने का अंदेशा बन गया है।
तमाम पुराने कार्यकर्ता महत्व नहीं दिए जाने से नाराज होकर घर बैठ गए हैं, जिससे रैली के फ्लाप होने की संभावना ज्यादा बढ़ गई है। पूर्व सांसद रमाकांत यादव एंड कंपनी भी उतना ही सक्रिय है, जिससे उस पर कोई आरोप नहीं लगे। बताया जा रहा है कि श्री यादव भी पार्टी में लगातार अनदेखी से नाराज हैं। गुटबाजी की खबर मुख्यमंत्री तक भी पहुंच गई है।
अब सरकारी स्तर से भीड़ जुटाने की रणनीति बनाई गई है ताकि रैली को फ्लाप होने से बचाया जा सके। वैसे आशंका है कि अगर यूपी में गणेश परिक्रमा करने वालों को ही महत्व दिया जाता रहा तो लोकसभा चुनाव परिणाम कुछ अच्छे दिन नहीं दिखा पाएंगे।