तृणमूल ने राज्यपाल पर लगाया संवैधानिक मर्यादा उल्लंघन का आरोप
कोलकाता : एक बार फिर पश्चिम बंगाल सरकार और राजभवन के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ के पहले सिलीगुड़ी दौरे पर राज्य सरकार के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति को लेकर दिए गए बयान पर सत्तारूढ़ तृणमूल के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कटाक्ष किया है। दरअसल राज्यपाल ने सरकार के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति को लेकर कहा है कि संभवतः राज्य सरकार के कार्यों के कारण वे लोग व्यस्त हैं लेकिन राज्य के पहले सेवक के आने पर इस तरह से अनुपस्थिति अपेक्षित नहीं थी। राज्यपाल ने कहा था कि वह राजनीतिक जोकर नहीं है बल्कि राज्य प्रशासन का अहम हिस्सा हैं और उन्हें उम्मीद थी कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से लेकर राज्य प्रशासन के अधिकारी उनके द्वारा बुलाई गई बैठक में आएंगे। राज्य सरकार का रवैया निराशाजनक है। इस पर पलटवार करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।
राज्यपाल लगातार राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं। उनका व्यवहार पक्षपातपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल गैरजरूरी तरीके से अति सक्रिय हो गए हैं। उचित होगा कि वह राजनीतिक चमक-दमक से दूर रहकर अपना संवैधानिक दायित्व निभाएं। इसके पहले गत 19 सितम्बर को जादवपुर विश्वविद्यालय में केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के घेराव से बचाने के लिए भी राज्यपाल जब पहुंचे थे तो पार्थ चटर्जी ने इसी तरह का आरोप लगाया था। हालांकि मंगलवार को राज्यपाल ने स्पष्ट कर दिया है कि वह राज्य प्रशासन और सरकार के प्रतिनिधियों के नहीं आने से व्यथित जरूर हैं लेकिन हताश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वह इस तरह का दौरा प्रत्येक जिले में करेंगे और हर जगह जिलाधिकारियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। माना जा रहा है कि राज्य सरकार की इस घोषणा के बाद अगर वह जिलों का दौरा करते हैं तो इसी तरह से राज्य प्रशासन के अधिकारियों की अनुपस्थिति रहने पर राज्य सरकार और राजभवन के बीच टकराव बढ़ेगा।