शहर के मंदिरों में भी ब्राम्हणों ने सामूहिक रूप से कथा सुनाई। पूजन-अर्चन का क्रम चलता रहा। पूजन-अर्चन करने के लिए व्रती महिलाओं की सर्वाधिक भीड़ लक्सा स्थित लक्ष्मीकुंड पर रही। जिले के ग्रामीण अंचलों में भी पोखरों व तालाबों पर बड़ी संख्या में महिलाओं ने पूजन-अर्चन किया। मनौती पूर्ण होने पर व्रती महिलाएं बाजे-गाजे के साथ पूजन करने के लिए गई। सारनाथ स्थित सारंगनाथ महादेव मंदिर से सटे शिवकुंड, अर्दली बाजार, डीएलडब्ल्यू स्थित सूर्य सरोवर, कंदवा स्थित कर्दमेश्वर महादेव कुंड पर पूजन-अर्चन के लिए व्रती महिलाओं का हुजूम जुटा रहा। जिउतिया व्रत का पारन सोमवार को होगा। शनिवार की रात में सरगही के बाद माताओं ने निर्जला व्रत किया।
पुत्र की लंबी आयु के लिए माताओं ने रखा निर्जला जिउतिया व्रत
वाराणसी : संतान की लंबी आयु के लिए रविवार को श्रद्धालु महिलाओं ने पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ निर्जला जीवित्पुत्रिका (जिउतिया) व्रत रखा। आश्विन कृष्ण अष्टमी जिउतिया पूजन के साथ ही महालक्ष्मी के पूजन का विशेष पखवारा और लक्ष्मी कुंड लक्सा पर चल रहे 16 दिवसीय सोरहिया मेला का भी समापन हो गया। निर्जला जिउतिया व्रत रखने वाली महिलाओं ने विधि विधान से फल-फूल, मिष्ठान्न आदि का डाल सजाया। समूह में गंगा घाटों-कुंडों व सरोवरों के किनारे पहुंची। फिर ईंख से वेदी सजाई, माला-फूल, फल, मिष्ठान्न अर्पित करते हुए विधि-विधान से जिउतिया माई (जिवित्पुत्रिका माता) का पूजन किया। राजा जीमूतवाहन और राजा परीक्षित की कथा सुनी। कथा सुनने के लिए महिलाओं की भीड़ जुटी। कथा कहीं सामूहिक रूप से तो कहीं घरों में कही गई। पुत्र की सलामती की मनोकामना को लेकर माताओं ने पूरी श्रद्धा के साथ कथा का श्रवण किया।