गाजियाबाद : नगर निगम सदन के इतिहास की सबसे चर्चित गाजियाबाद नगर निगम की बैठक आखिरकार शनिवार को सम्पन्न हो गयी। आठ दिन में तीसरी बार हुई इस बैठक में पिछली दो स्थगित हुई बैठको के बचे 17 प्रस्तावों को चर्चा के बाद सर्वसम्म्मति से पास कर दिया गया। इस दौरान कुछ प्रस्तावों पर पार्षदों ने हंगामा भी किया। बैठक में महानगर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आदमकद प्रतिमा लगाए जाने का प्रस्ताव पास हुआ। शनिवार को महापौर आशा शर्मा की अध्यक्षता में नगर निगम बोर्ड बैठक शुरू हुई। भाजपा के वरिष्ठ पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने तीन दिन पहले 18 सितम्बर को हुई पिछली बोर्ड बैठक से अधिकारियों के बहिष्कार कर चले जाने के मुद्दे पर आपत्ति जताते हुए इसे सदन का अपमान बताया। साथ ही अधिकारियों से इस पर खेद जताने को कहा। कई अन्य पार्षदों ने भी उनकी बात का समर्थन किया।
बाद में महापौर आशा शर्मा और नगरायुक्त दिनेश चंद्र के समझाने तथा पिछली बैठक में अपने बयान के कारण विवाद का कारण बने पार्षद सुनील यादव द्वारा अपनी बात रखने के बाद बैठक शुरू हुई। इसके बाद प्रस्तावों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने, वार्डों में निगम की कब्जाई जमीन मुक्त कराने, महानगर में बने शमशान घाटों का पुनर्निर्माण कर उन्हें व्यवस्थित और सुंदर बनाने, नेहरू नगर में लम्बे समय से बन रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम को जल्द पूर्ण करने, निगम की जमीन अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए एक की जगह निगम में दो सचल दस्ते बनाये जाने तथा निगम में फिर से तहसीलदार के तैनाती करने आदि प्रस्तावों को सदन में मंजूरी दी गयी।
इनके अलावा वार्डो में निर्माण से सम्बंधित कार्यों के प्रस्तावों को वार्ड कोटे से कराए जाने पर मुहर लगाई गई। बैठक में सबसे ज्यादा हंगामा ठेकेदार कम्पनी सीएलसी को लेकर मचा। इसी कम्पनी के विवाद में पिछली बोर्ड बैठक का अधिकारियों ने बहिष्कार कर दिया था जिसके चलते मचे हंगामे के बाद बैठक स्थगित कर दी गयी थी। हंगामा होते देख नगरायुक्त दिनेश चंद्र ने बताया कि इस फर्म को शासन से ही नियुक्त किया गया है। बैठक में ग्रामीण क्षेत्र के पार्षदों ने उनके वार्डों में शहरी क्षेत्र की अपेक्षा बहुत कम विकास कार्य कराए जाने के भी आरोप लगाए। इसके अलावा कई पार्षदों ने महानगर में करोड़ों की निगम की जमीन भूमाफियों व बिल्डरों द्वारा कब्जाये जाने को लेकर भी हंगामा किया। महापौर आशा शर्मा ने निगम की कब्जाई जमीनों के अभी तक कब्जामुक्त ना होने को गम्भीर विषय बताते हुए सम्बंधित अधिकारी से इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए जल्द से जल्द कब्जाई जमीनों को मुक्त कराने के आदेश दिए।