कहर बरपा रहीं गंगा की लहरें, बनारस में खतरे के निशान से 21 सेमी ऊपर

गंगा आरती स्थल पूरी तरह गंगा की गोद में समाया

बाढ़ग्रस्त इलाकों की गलियों व सड़कों पर चल रही नाव

वाराणसी : जीवनदायिनी गंगा और सहायक नदी वरूणा की रौद्र लहरें अब कहर बरपा रही हैं। गंगा खतरे के निशान से लगभग 21 सेमी ऊपर बह रही है। हरिश्चन्द्र घाट पर स्थित विद्युत शवदाह गृह बंद हो गया है क्योंकि उसका बड़ा हिस्सा पानी में डूब गया है। शवों का अन्तिम संस्कार गलियों में किया जा रहा है। यहां वर्ष 1978 में गंगा की लहरें 73.90 मीटर पर पहुंच कर रिकार्ड बना चुकी हैं। वाराणसी में बाढ़ का यह सर्वोच्च बिंदु रहा है। तब शहर के मध्य नई सड़क, गोदालिया, लक्सा, गुरूबाग तक सड़कों पर नाव चली थी।प्रति घंटे आधा सेमी की रफ्तार से धीरे-धीरे बढ़ रही लहरें गुरुवार सुबह 10 बजे 71.47 मीटर के ऊपर पहुंच गई थी। खतरे का निशान 71.26 मीटर है। तीन साल बाद गंगा की लहरों ने यहां फिर खतरे का निशान पार कर लिया है। गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ाव से लहरें तटवर्ती क्षेत्र के ऊंचे स्थानों के साथ नजदीक के आबादी वाले क्षेत्रों की ओर बढ़ चली हैं। शहर के कई बाढ़ग्रस्त इलाकों के गलियों और सड़कों पर नाव चल रही हैं।
तटवर्ती क्षेत्र के लोग घर बार छोड़ कर सुरक्षित स्थान और राहत शिविर में पलायन कर रहे हैं। बाढ़ की चपेट में ढ़ाब क्षेत्र के गांवों के साथ लगभग 30 से अधिक गांव आ गये हैं। जिलाधिकारी ने बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर दिया है। ग्रामीण अंचल के चौबेपुर में नाद व गोमती नदी के पानी से पिपरी गांव घिर गया है। गांवों के सम्पर्क मार्ग डूब गए हैं। टेकुरी, लक्ष्मीसेनपुर, ढुढुंआ, शिवदशा, लूंठा, सरसौल, मुरीदपुर, रामपुर चन्द्रावती, गौरा उपरवार, भंदहां,  ढंकवा, कैथी भगवानपुर आदि गांवों में फसलें जलमग्न हो गई हैं। एनडीआरएफ की टीम ने इन गांवों में गश्त बढ़ा दिया है। गंगा पार रामनगर के डोमरी गांव में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। रोहनिया क्षेत्र के शाहंशाहपुर में बाढ़ का पानी सिवान व खेतों को डुबोने लगा है। खेतों में मिर्च, ज्वार, बाजरा, तिल आदि की फसलें जलमग्न हो गई है।

उधर, गंगा में उफान के चलते हरिश्चन्द्र घाट पर स्थित विद्युत शवदाह गृह बंद हो गया है क्योंकि शवदाह का बड़ा हिस्सा पानी में डूब गया है। शवों का अन्तिम संस्कार गलियों में किया जा रहा है। शव लेकर आने वाले लोगों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। मणिकर्णिका घाट पर जलस्तर इतना बढ़ गया है कि शव छत पर जलाये जा रहे हैं। दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध सांयकालीन गंगा आरती का स्थल पूरी तरह गंगा की गोद में समा गया है। घाट पर स्थित ऊंचे मकानों की छत पर गंगा आरती हो रही है इसलिए शहर में आने वाले पर्यटक गंगा आरती देखने से वंचित हैं। छतों पर जगह कम रहने के कारण कुछ लोग ही वहां पहुंचकर गंगा गंगा आरती दे पा रहे हैं। गंगा के खतरे के निशान पार करने के बाद रेल प्रशासन भी अलर्ट हो गया है। रेल प्रशासन ने राजघाट स्थित मालवीय पुल पर ट्रेनों का परिचालन नियंत्रित किया है। पुल पर 10 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के निर्देश दिए गए हैं।

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