अयोध्या : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कश्मीर के मुद्दे पर पूरी दुनिया ने भारत का साथ दिया। पाकिस्तान को सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। संयुक्त राष्ट्र से भी उसे खाली हाथ लौटना पड़ा। पीओके को भारत मे मिलाना सुरक्षा की दृष्टि से भी आवयशक है। एक वर्ष के भीतर भी पीओके भी भारत का हिस्सा बन जायेगा। सुब्रह्मण्यम स्वामी शनिवार को डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में 24वें दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में भारत के पुनरुथान की दिशा विषय पर विशिष्ट व्याख्यान बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। स्वामी ने कहा कि बलूचिस्तान भी मुक्त होकर भारत के साथ विलय चाहता है। भारत का नक्शा ठीक करना आवयशक हो गया है। उन्होंने कहा कि 1950 में भारत को सयुक्त राष्ट सुरक्षा परिषद में शामिल करने के लिये रूजवेल्ट ने भारत का समर्थन किया।
चाइना को हटाकर भारत को प्राथमिकता दी गई। परंतु जवाहरलाल नेहरू ने इस सीट को चाइना को देने की वकालत की। शक्ति को देखकर चाइना झुकता है। हमे अपनी ताकत बढ़ानी होगी। कोई भी आस्था को चुनौती नही दे सकती है। संविधान के अनुच्छेद 25 में मूलभूत अधिकार पूजा करने का है। उन्होंने कहा कि धारा 301-ए में भारत सरकार को अधिकार है कि किसी भूमि को राष्ट हित में अधिग्रहित कर सकता है। उन्होंने कहा कि विश्व संस्कृत सबसे उपयुक्त भाषा है। नासा ने शोध में साफ किया है कि संस्कृत सबसे वैज्ञानिक है। कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने कहा कि स्वामी जी अपनी बात अंतर्मन से कहते हैं। यह कोई राजनैतिक भाषण नहीं है। भारत के परिवर्तन के लिये स्पष्ट संदेश है। विशिष्ट अतिथि कौस्तुम्भ नारायण मिश्रा ने कहा कि स्वामी जी अर्थशास्त्र ही नहीं भारत और भारतीयता गणित को समझते हैं। स्वामी जी तथ्य के मर्म को गहराई से समझते हैं।