हिन्दी पर शाह के बयान को लेकर सियासत शुरू

पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक में विरोध के सुर

नई दिल्ली : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हिन्दी को लेकर दिए एक बयान ने दक्षिण भारत समेत देश की राजनीति को गर्मा दिया है। शाह ने हिन्दी दिवस के अवसर पर शनिवार को कहा कि हमारे पास एक ऐसी भाषा हो जो विश्व पटल पर अंग्रेजी को परास्त कर सके, इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा हिन्दी का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि देश को एकता के सूत्र में बांधने की क्षमता अगर किसी भाषा में है तो वह हिन्दी है, किंतु शाह के इस बयान को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई। विपक्षी खासकर दक्षिण भारत के राजनैतिक दलों ने शाह के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि वह हिन्दी को थोप रहे हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) प्रमुख एमके स्टालिन, राज्य की सत्ता पर काबिज अन्नाद्रमुक और उधर कर्नाटक में भी शाह के बयान को लेकर विरोध शुरू हो गया। एआईएमआईएम प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी भी शाह के बयान के विरोध में कूद पड़े हैं। ममता ने ट्वीट कर कहा कि हिन्दी दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। हमें सभी भाषाओं और संस्कृतियों का समान रूप से सम्मान करना चाहिए। हम कई भाषाएं सीख सकते हैं, लेकिन हमें अपनी मातृ-भाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए।

स्टालिन ने शाह के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें बयान वापस लेना चाहिए। हिन्दी को थोपे जाने का हम लगातार विरोध कर रहे हैं। शाह द्वारा की गई टिप्पणी से हमें आघात पहुंचा है, यह भारत की एकता को प्रभावित करेगा। ओवैसी ने कहा कि हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुत्व से कहीं बड़ा है भारत। उन्होंने कहा कि हिन्दी हर भारतीय की मातृभाषा नहीं है । उन्होंने शाह के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या वह इस देश की कई मातृभाषाएं होने की विविधता और खूबसूरती की प्रशंसा करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि संविधान का अनुच्छेद 29 हर भारतीय को अपनी अलग भाषा और संस्कृति का अधिकार प्रदान करता है।

शाह के बयान के विरोध में दक्षिण भारत के कई राज्यों में तो विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए। बेंगलुरु में कन्नड़ समर्थकों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया तो कलबुर्गी में कर्नाटक नवनिर्माण सेना भी विरोध में सड़क पर उतर आई। जबकि कांग्रेस एक ओर तो हिन्दी को बढ़ावा देने की हिमायत कर रही है, किंतु साथ में उसका रूख था कि एक भाषा ही लागू नहीं की जानी चाहिए। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि अगर हम एक ही भाषा लागू करना चाहेंगे तो संभव है कि लोगों को ये बात स्वीकार न हो, और दरारें पड़ने लगे।

दरअसल, हिन्दी दिवस के अवसर पर शाह ने एक कार्यक्रम में कहा कि देश को अपनी भाषा को लेकर आत्मचिंतन करने और देश की भाषा के तौर पर हिन्दी को बढावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश की अनेक भाषाएं और बोलियां हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं, लेकिन जरूरत है कि देश की एक भाषा ऐसी हो, जिससे विदेशी भाषाओं को देश में जगह न मिले। उन्होंने देश की सभी भाषाओं की सराहना करते हुए कहा कि देश की सभी भाषाएं दुनियाभर की भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ हैं। उन्होंने कहा कि देश में भाषाई विविधता है और इसे देखते हुए राजभाषा का निर्णय करते समय एकमत होना भी स्वाभाविक है, लेकिन हमारे संविधान निर्माताओं ने पूरी स्थिति का गहनता से अध्ययन करने के बाद ही पूरी संविधान सभा ने सर्वानुमति से हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया।

 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com