नई दिल्ली : केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह ने हिन्दी को वैश्विक भाषा बनाने के लिए केंद्र सरकार से विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी की सीटें बढ़ाकर इसे प्रोत्साहित करने की जरूरत पर बल दिया है। उन्होंने सभी देशवासियों से भी हिन्दी के प्रचार और प्रसार में योगदान की अपील की है। शनिवार को केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने विश्व हिन्दी परिषद और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से आग्रह करते हुए कहा कि विदेश के विश्वविद्यालयों में ज्यादा से ज्यादा सीटें स्थापित करें, ताकि हिन्दी की दुनिया भर में शान बढ़े।
उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिन्दी साहित्य और शब्दावली के लिहाज से एक समृद्ध भाषा है, लेकिन भाषा की चुनौती यह है कि अनेक लोग मौखिक चर्चा या लेखन में हिन्दी के उपयोग करने में संकोच करते हैं। लोगों का यह स्वभाव हिन्दी को वह समृद्ध स्थान देने में बाधा पैदा करता है, जिसके वह योग्य है। इसलिए, देश के प्रत्येक नागरिक का यह परम कर्तव्य और जिम्मेदारी है कि वह लोगों को प्रेरित करे कि हिन्दी बहुत ही सरल, समृद्ध, मधुर और बोलने-लिखने में आसान है।
उन्होंने कहा कि हिन्दी बेहद सरल और सहज भाषा है। इसमें अंग्रेजी भाषा की तरह कोई भी वर्ण बड़ा या छोटा नहीं होता है। उनका कहना था कि हिन्दी का भविष्य उज्ज्वल है, क्योंकि ये भारत के जन, मन और गण की भाषा है। उन्होंने विश्व हिन्दी परिषद को बधाई देते हुए कहा कि देश को ऐसे श्रेष्ठ हिन्दी सेवी व समाज सेवी संस्थानों की आवश्यकता है। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री वीके सिंह, एनडीएमसी की सचिव रश्मि सिंह एवं विश्व हिन्दी परिषद के महासचिव डॉ. बिपिन कुमार ने दुनिया भर से आये 50 जाने-माने शिक्षाविदों, साहित्याकारों व समाजसेवियों को सम्मानित किया।