देशभर में गणेश उत्सव की धूम है। हर तरफ गणपति पंडाल और गणपति बप्पा मोरया से वातावरण गुंजायमान है। इस बार गणेश महोत्सव का पर्व 2 सितंबर से शुरू हुआ और 12 सितंबर को समाप्त होगा। गणेश चतुर्थी के दिन घर या पंडालों में गणपति की प्रतिमा को स्थापित की जाती है। 10 दिन श्री गणेश प्रतिमा हमारे घर, मंदिर में विराजित रही और अब उनकी विदाई होगी। इन 10 दिन तक उन्हें प्रसन्न करने के हर प्रकार के जतन किए जाते हैं। उन्हें तरह-तरह का भोग लगाया जाता है। उनकी पूजा अर्चना की जाती है। और 10वें दिन विघ्नहर्ता का विधि पूर्वक विसर्जन किया जाता है। 12 सितंबर को गणपति बप्पा मोरया अगली बरस तू जल्दी आ के साथ सभी गणपति भक्त विघ्नहर्ता का विसर्जन करेंगे।
भगवान गणेश के विसर्जन का अपना ही एक अलग महत्व है। इस विसर्जन में एक संदेश छिपा होता है। मान्यता अनुसार देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का जल में विसर्जन करने से उनका अंश प्रतिमा से निकलकर अपने लोक पहुंच जाता है । साथ ही गणपति विसर्जन का एक सार यह भी है कि जिंदगी नश्वर है, जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। प्रकृति रूपी ब्रह्म से जीवन मिला है और एक दिन उसे परम ब्रह्म रूपी प्रकृति में ही मिल जाना है।