मोहर्रम और गणेश पूजा में ना हो असुविधा, इसीलिए प्रशासन ने मांगा था ब्योरा -शलभ मणि त्रिपाठी
लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि रामपुर के कार्यक्रम के लिए अनुमति ना देने का पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आरोप पूरी तरह निराधार है। दरअसल अखिलेश यादव को अंदेशा हो गया था कि जमीनों पर अवैध कब्जे और तमाम अपराधिक मामलों से घिरे जिन आजम खां के समर्थन में वे रामपुर जा रहे हैं, उनके खिलाफ तमाम दलों के नेता और जनता भी सड़कों पर उतरने को तैयार है। इसी विरोध को देखते हुए अखिलेश ने कदम वापस खींच लिए और बार-बार पूंछने के बाद भी प्रशासन को अपने कार्यक्रम का ब्यौरा नहीं भेजा और अब ये निराधार आरोप लगा रहे हैं कि प्रशासन ने कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी।
शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि यह सर्वविदित है कि देश-प्रदेश में एक तरफ गणेश पूजन का आयोजन हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ मुहर्रम भी मनाया जा रहा है। ऐसे मौके पर जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त अखिलेश यादव जी की सुरक्षा व्यवस्था का बेहतर इंतजाम करने, उनके कार्यक्रम को लेकर किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति ना पैदा होने देने व जनता को असुविधा से बचाने और शांति व्यवस्था कायम रखने के उद्देश्य से रामपुर के जिला प्रशासन ने उनके कार्यक्रम का विवरण पूछा था। जिलाधिकारी रामपुर के बार-बार पूछे जाने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री की तरफ से ना तो कार्यक्रम का विवरण दिया गया, ना ही आगे अनुमति मांगी गई। उनके कार्यक्रम में विरोध प्रदर्शन का भी कहीं जिक्र नहीं था। इसके बावजूद प्रशासन ने उनकी मीटिंग के लिए रेडियंस पार्क आरक्षित करते हुए एक बार फिर कार्यक्रम का ब्यौरा मांगा पर समाजवादी पार्टी या अखिलेश यादव जी की तरफ से इसके बाद कोई संवाद ही नहीं किया गया।
शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि दरअसल कांग्रेस और बसपा के साथ समाजवादी पार्टी के भी तमाम कार्यकर्ता रामपुर में आजम खां का विरोध कर रहे हैं। ये वो लोग हैं जिन्होंने सपा सरकार में आम लोगों और उनमें भी खासतौर पर अल्पसंख्यकों और दलितों पर आजम खां का अत्याचार देखा है। आज योगी आदित्य नाथ की सरकार में जब पीड़ितों को इंसाफ मिल रहा है तब ऐसे में दलगत भावना से ऊपर उठकर तमाम दलों के लोग इस कार्रवाई की सराहना कर रहे हैं। ऐसे में अखिलेश यादव को एहसास हो गया था कि उनके रामपुर दौरे के दौरान सभी दलों के लोग और रामपुर की आम आवाम उनका विरोध करेगी। चार संगठनों ने तो बकायदे इसके लिए अनुमति भी मांग रखी थी। यही वजह है कि उन्होंने जिला प्रशासन को अपने दौरे की कोई जानकारी नहीं दी और अब यह निराधार आरोप लगा रहे हैं कि जिला प्रशासन ने उन्हें अनुमति नहीं दी।