अफगानिस्तान में अमेरिका और तालिबान के बीच चल रहे समझौते की आड़ में खतरनाक सामरिक-कूटनीतिक शतरंज की बिसात बिछी है। सरकार के सामरिक कूटनीतिकारों को 2020 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना पूरी तरह हटाने वाली अमेरिका की मंशा पर गंभीर शक है। सरकारी तंत्र बेहद सतर्क है कि वैश्विक आतंकवाद का हब कहे जाने वाले अफगानिस्तान में अमेरिका और पाकिस्तान के साथ पक रही नई खिचड़ी भारत के लिए कई चुनौतियां पैदा करेगा।
अफगानिस्तान मामले से जुड़े उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों ने बताया कि अफगानिस्तान की अहम भौगोलिक स्थिति के मद्देनजर वहां अमेरिकी सेना की मौजूदगी ईरान, चीन और रूस को एक साथ लंबे समय तक साधे रहने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। खासतौर पर ईरान से लगातार बढ़ रहे तनावपूर्ण समीकरण को देखते हुए अमेरिका इस इलाके में अपनी सैन्य मौजूदगी पर जोखिम नहीं उठाना चाहेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले अपने सैनिक हटाने की बात कर रहे हों, लेकिन उनका तंत्र कई विकल्पों पर गंभीर मंथन कर रहा है।