अमेरिकी प्रतिबंधों से बाधित नहीं होगा भारत-रूस व्यापार और सहयोग : पीएम मोदी

व्लादिवॉस्तोक (रूस) : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि रूस पर अमेरिका ने जो प्रतिबंध लगाए हैं उससे भारत-रूस व्यापार और सहयोग पर कोई असर नही पड़ेगा। ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम सम्मेलन में एक प्रश्न के उत्तर में मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग निरंतर बढ़ रहा है। दोनों देशों ने रक्षा उत्पादन और प्रौद्योगिकी स्थानांतण के लिए कई समझौते किए हैं। अमेरिका के प्रतिबंधों से इस प्रक्रिया पर कोई असर नही पड़ेगा। अमेरिका की ओर से घोषित प्रतिबंधों के औचित्य के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि दुनिया में इसे लेकर चिंता और चर्चा है। जब कोई एक देश किसी अन्य देश पर प्रतिबंध लगाता है तो इसका असर दूसरे देशों पर भी होता है तथा विश्व अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। इसे लेकर दुनिया में चिंता है और इस पर चर्चा भी हो रही है।

उल्लेखनीय है कि क्रीमिया के रूस में एकीकरण को लेकर अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगा रखे हैं। अमेरिका रूस के साथ आर्थिक सहयोग कम करने के लिए दबाव भी डाल रहा है। अमेरिका ने भारत द्वारा रूस से मिसाइल सुरक्षा प्रणाली एस-400 हासिल किए जाने पर भी आपत्ति व्यक्त की है। अमेरिका के विरोध को नजरअंदाज करते हुए भारत ने एस-400 हासिल करने की प्रक्रिया जारी रखी है तथा इस संबंध में अग्रिम भुगतान भी कर दिया है। सम्मेलन में मोदी से पूछा गया कि यदि भारत को विकसित देशों की संस्था जी-7 में शामिल होने का न्यौता मिलता है तो क्या वह इसमें शामिल होना चाहेगा। इस पर मोदी ने कहा कि भारत विभिन्न बहुपक्षीय मंचों में शामिल रहा है। जी-7 में शामिल होने के लिए उसे कोई पेशकश नही की गई है। इसलिए इस संबंध में राय जाहिर करने का कोई औचित्य नही है।

मंच संचालक ने ऐसा ही सवाल रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से भी किया। पुतिन ने कहा कि वास्तव में भारत और चीन ऐसे प्रमुख देश हैं जिन्हें विश्व के किसी भी बहुपक्षीय मंच में निश्चित रुप से स्थान मिलना चाहिए। जहां तक रूस का सवाल है उसका इस संस्था में शामिल होना अनिश्चित है। जी-7 की अगली शिखर वार्ता अमेरिका में आयोजित है जिस दौरान वहां राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मी रहेगी। पुतिन ने मजाकिया लहजे में कहा कि अच्छा यह होगा कि ऐसी शिखर वार्ता रूस में आयोजित की जाए। उल्लेखनीय है कि रूस जी-7 के विस्तारित रुप जी-8 का सदस्य था। क्रीमिया में रूस के हस्तक्षेप के कारण रूस को इस संस्था से निकाल दिया गया था और संस्था जी-7 के रुप में काम कर रही थी।

 

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